Book Title: Parvtithi Prakash Timir Bhaskar
Author(s): Trailokya
Publisher: Motichand Dipchand Thania

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Page 225
________________ तेमनी साथे" श्रीतवतरंगिणी ग्रंथनाज आधारे पू० सागरजी माहाराज चर्चा करवा तैयार छे आ शब्दो मारा कहेला तरीके जणावेला छे, तेमां तमे लिटीवाला अक्षरो चर्चामांथी छटकी जवा माटे जाणी जोइने लखेला छे, मारा शब्दो तो तमारा वीर(१)शासनमा ता. २२ मार्च १९४० मां पृष्ठ ३८० कोलम त्रीजामां " अथवा तो आप पसंद करो ते तटस्थोनी हाजरीमा चर्चा करवा पूच्य आचार्यमाहाराजने विनंति करूं" एम छपाएला छे तेज छे. माटे जुट्ठा लखनार अधमोमांथी निकलवा मांगता हो तो आतर्कट रचवा बदल सत्वर माफी मागो. पूज्य आचार्यदेव उपर लखेला पत्रमा कथन अकथननो इस्यु काढवानो तमे विना प्रसंगेज निषेध करेल छे, ते पण तेनी साबीतीज छ. श्री तत्वतरंगिणीनो तमे करेल अनुवाद जुट्ठो छे, एम कहेनार मारी के कोईनी पण आगल तेनी सत्यता साबीत करवानी तेना का तरीके तमारी फरजज छ, अने तेमांथी तमो यदि जुट्टा न होतो छटकी शकोज नहिं. ता. कः-पूज्य आचार्यदेवेशे तमारी जुट्ठी चेलेन्जनो पण उत्तर आपीने चर्चा करवा तैयारी बतावी, लिखित स्वीकार करीने जवाब तमने पहोंचाडेलज छे, माटे चर्चाना मार्गमां आ वातने के बीजा पण बहानाने मागल धर्या वगर चर्चानी प्रतिज्ञा तेओश्रीने लखी जणावशो, एमां मारे कहेवार्नु होय नहीं. लि. मुनि हंससागर सही दः पोते Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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