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सूरीश्वरजीकी मान्यता पूरानी व शास्त्रसम्मत है.
संवत् १९९७ जैष्ठकृष्ण द्वितीया मुताबिक ता. २४-६४० हस्ताक्षर - ज्योतिष व्याकरण साहित्य न्यायाचार्य पंडित नंदकिशोर इत्यलम् |
मैं
इस फैसले को सुनकर इन्द्रमलजी बोले- वकील साहब ! आज इस सभा समक्ष राममान्यताको वोसीराता हुँ ! बाद सब ही कोई अपने अपने स्थानको खाना होगये, और दूसरे दिन सुबह को बरातभी रवाना हो गई. बरात में ऐसा कोई भी बराती नहीं रहा की जिसको शेठ चंपालालजीने कम से कम पच्चीस रूपेका शिरोपाव न दिया हो ! सबही बराती लोग कुंवर साहब सौभाग्यमलजीकी बरात से आकर अपने अपने कार्य में मशगूल बन गये.
पाठक महाशय ! आपको भी यदि इस शादी व चर्चा में किसी प्रकार तकलीफ हुई हो तो क्षमाप्रदान करें. इत्यलम्
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इति श्री पर्व तिथिप्रकाश तिमिर भास्करः समाप्तः । 8
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