Book Title: Parvtithi Prakash Timir Bhaskar
Author(s): Trailokya
Publisher: Motichand Dipchand Thania

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Page 211
________________ गुपचुप अत्रेथी विहार करी गयेल छे. सत्यना अर्थीओए आवो लजास्पद गार्ग ग्रहण करी मिथ्यात्व फेलाववुए जराय उचित नथी. वीरशासन ता. १-३-४० मां तेवा तरफथी जे जुहूं छपायुछे तेनो उतारो लइने अत्रे हेन्डबील फेलावनाराओ, आचार्य विजयसिद्धिसूरिजी शु कहे छे? एम कहीने जे वात लखे छे ते तदन जुठीज के. ए हेन्डबीलमा आ. विजय. सिद्धिमूरिजीनु एकपण वाक्य छैज नहीं. तेओनी एवीज मान्यता होय तो पोताना नामथीज जाहेर करे तेम छे. तेओ तो साफ बोले छे के आराधनामां तिथिना क्षय के वृद्धि होयज नहीं. ता. का-तिथिचर्चा बाबत निर्णय करवाने माटे अत्रे बीराजता पू. आचार्य देवेशश्रीने म्हें अठवाडीया सुधीने माटे उपर मुजब विनंति करेली तेनो पूज्य आचार्यदेवेशे सत्यना संरक्षण माटे स्वीकार कर्यो छे. आ वखते पण तेवाओए पोतानी जुठी मान्यतानुसार महा वदि .)) बे करीने सकल संघथी विरुद्ध तेरशने गुरुवारे पाखी करवानी हीलचाल उठावी छे, ते तदन जुठीज छ. शास्त्र अने परंपराने माननारो सकल संघ, महा वदि )) एकज राखीने महा वदि तेरशज बे करे छे अने करवानो छे. आथी शुक्रवा. रेज चौदश अने शनिवारेज अमावास्या छे. मार्गथी विरुद्ध गएली रामटोलीज गुरुवारे चौदश करवानी छे अने ते तदन जुटुंजछे ता. ४-३-४० मुनि हंससागर पालीताण Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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