Book Title: Parvtithi Prakash Timir Bhaskar
Author(s): Trailokya
Publisher: Motichand Dipchand Thania

View full book text
Previous | Next

Page 210
________________ (१८६) आराधनामां पर्वतिथिनो क्षय अने वृद्धि माननाराओने विनंति. टिप्पणामां ज्यारे बीज आदि पर्वतिथिनो क्षय होय छे त्यारे धर्माराधनमां शास्त्र अने परंपराने अनुसरनारा पूर्वनी पड़वा आदि अपर्वतिथिनो क्षय करे छे तथा ज्यारे बीज आदि पर्वतिथिनी टीप्पनामा वृद्धि होय छे त्यारे तेनाथी पहेलानी पडवा आदिनीज धृद्धि शास्त्र अने परंपराने अनुसरनारा करे छे. तेमज वली पूर्णिमाके अमावास्या जेवी पर्वनी अनंतर आवती पर्वतिथिना क्षय के वृद्धि होय छे त्यारे शास्त्र अने परंपराने अनुसरनारा, पूर्वनी पर्वतिथि चौदश आदि करतां पण पहेलांनी तेरस आदि अपर्वतिथिना क्षय अने वृद्धि करीने आगधना करे . आ शास्त्र अने परंपरा सिद्धमार्ग लोपीने जे कोई हालमां आराधनामां पण तिथिना क्षयवृद्धि मानवा मनाववा सज थया छे तेओ सदंतर जुठाज छे. एम अमो बापोकार करीए छीए. अने सत्यने समजवानी कोइपण आचार्य उपाध्याय के पंन्यासजीने इच्छाज होय तो जुठी हेन्डबीलबाजीद्वारा लोकोंने भ्रममा पाडता बंध थइने बाबु पन्नालालजीनी धर्मशालामां शास्त्रार्थ करवा पधारवा विनंति छे. अत्रे पाली. ताणामां एवी जुठी मान्यतावाला ना. उ. जंबुविजयजीने म्हें महा सुदी ८ ना दिने एक पत्र मोकलावीने तिथिनो निर्णय करवा संबंधी टाइम माग्योज होवा छतां जवाब आप्या विना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248