________________
ज्ञान०-(लालचंदजीसे ) आपने रसोई बनाने वालोंका क्या इन्तजाम किया ?
लाल- जगन्नाथ माधो मथुरालाल हरिविठ्ठल और रामकिशन ये पांचतो दक्ष कारीगर है, और इनके हाथ नीचे ये लोग अपनी पसंदगीके दस दूसरे रसोईयों को लिवा लावेंगे.
ज्ञान--अच्छा घीरतके लिये क्या किया?
लाल-दोसौ डिब्बे सफेद ताजे पीके तैयार है अलावा इसके गांवड़ोंसे आनेवाले घीकी खरीदीभी चालु है (सेठजीसे) शेठ साहब ! अब मुझे इजाजत हो. (जाता है)
सेठ०-(इन्द्रमलजीसे) आप कितनाही आसामान पाताल एक कीजिये आपका जाना तो गेरमुमकिन बात है, और आपकी इस तन्कीहका यही अखीर फैसला है.
इन्द्र०-(सेठ सा० से) आपको मैं कुछ कह नहीं सकता लेकिन. (वीचहीमें)
सेठ०-लेकिन वेकिन को मैं नहीं सुनना चाहता सिर्फ यही जानता हूं कि जबतक दुल्हन यहांसे वापिस न लोटाई जाय आप हरगिज नहीं जा सकते. · इन्द्र०-मैं लाचार हूं मुझे मत रोकिये. - हँस०-(इन्द्रमलजीसे) लाचारी बाचारी किस बातकी ? सुसरालमें माल उड़ाना मोटरमें बैठना मोजशोख करना इसमें भी आपको लाचारी मालूम होती है वाह साहब ! वाह !! क्या खूब कही है!!! (सेठ सा० से) सेठ साहब! अच्छा तो.
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com