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मन०-सेठ साहब ! अगर हुक्म फरमावे तो मेरी भी राय जाहिर कर दूँ. ... सेठ-कहिये।
मन-बराती लोग गांव में जाकर वापिस स्टेशन आवेंगे, इसमें प्रथम तो जुलूस निकलने में देरी होगी. दूसरी बात यह है कि-इस वैसाखकी कड़ी धूपमें बगती घबरा जावेंगे, इस लिये बेहत्तर तो यह होगा कि-यहीं मीठाई वगैग पकी रसोई मंगवाली जावे-ताकि गाड़ीसे उतरतेही बरातियों को भोजन करा दिया जावे. और बिना विलंबही जुलूस चालूभी करदिया जावे.
सेठ०-परंतु जो कच्ची रसोई शहरमें बनी है, उसका क्या होगा?
मन०-गरीबोंको खिलवा दी जावे. कारण शेठसाहबके घर, शादी है और इसकी याद गरीब भी कैसे रखेंगे? . सेठ०-(कुछ बिचारकर) अच्छा, जैसा ठीक समझो वैसा ही शीघ्र इन्तजाम करो! ( मनसुखरायजी जाते है और कुछ देर बाद नथमलजी आते है.)
सेठ०-(नथमलजीसे) जुलूसका क्या इन्तजाम किया ?
नथ०-अपना हाथी-बग्धीये-घोडे और मोटरों के अलावा सरकारी हाथी-धोडे व. बरधीय व. नकारा, निशानभी हाजीर है. अलावा २० पुलीस और २० वर्दीवाले जवान भी तैयार है. सिर्फ स्पेशीअल आनेकी इन्तजारी है. ग्यारा बजनेके करीवघंटीकी पाच आवाज होती है. इतने में स्पेशीअल ट्रेन धडाधड़
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