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(e) सत्यासत्यका निर्णय कीजिये..
इन्द्र०-( पुस्तक खोलकर पृ. १६ गा. ४ का भाषांतर पढते है) "ज्यारे आराधवानी तिथि पड़ी होय त्यारे तेनी आराधना माटे तेनाथी पूर्वनीज उदय तिथि ग्रहण करवी अने अधिक होय तो पछीनीज उदयतिथि ग्रहण करवी. जेमके आठमनो क्षय होयतो सातम जे उदयतिथि के ते ग्रहण करी. ने आठम आराधवी, जो आठम वधेली होय तो बीजी आठमें आठम आराधवी. ... वकी०-बस यहांही रूकिये, और इन दोनोंका मुकाबला कर लीजिये.
इन्द्र०-इसमें मुकाबला क्या करना है ? जो अर्थ श्रीजंबुविजयजीने किताबमें लिखा है वह बराबरही है.
वकी०-तस्यतरंगिणीका अर्थ सुनाते वक्त "आराधनेकी तिथि" ऐसा आपने सुनायाथा क्या? और दोवक्त उदयतिथि ऐसाभी आपने सुनायाथा क्या ? "आराधनाके लिये" भी आपने सुनायाथा क्या ? ग्रहण करके आराधना, ऐसाभी सुनायाथा क्या ? (अन्य लोगोंकी ओर देखते हुये) आप लोगोंने भी उपरोक्त शब्द सुनेथे क्या ?
सबही०-नहीं! नहीं!! नहीं !!! .. इन्द्र०-यहतो अध्याहार लिये है.
वकी०-कर्ता-कर्म-क्रिया विशेषण और प्रयोजनादि जो हैं उनमेंसें अध्याहार क्या क्या लिया जाता है । सो कहिये.
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