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(१०८) दलाली करते है, उसमें कोई दगीना हीरेसें जड़ा हुआ हो, कोई दगीना पनेसें जड़ा हुआ हो, कोई माणेकसें जड़ा हो तो उन दागीनोंकों आप कैसे बोलेंगें? ( जुहारमलजीकी तरफ देखकर) कहिये ! साहब !! आप सोने हीरेकी अंगुठी, सोने " पन्नेका शीरपेच, सोने माणेकका कंठा, ऐसा बोलेंगे क्या?
जुहा०-जी नहीं! हमारा व्यवहारतो जड़ीत वस्तु के नामसेही होता है. जैसे कि-पंनेकी वीटी, हीरेका कंठा, पूखराजका शीरपेच, माणेककी चूडी, वगैरह..
वकी०-इसको भी इन्द्रमलजी लोकव्यवहार कहकर टाल देगें! अच्छा, आप अभी ही श्रीगिरिगजसे नवाणु, यात्रा करके आये हो, और वहांतो लोकोत्तर व्यवहार ही चलता है. कहिये ! वहां हीरेका मुकुट भगवानको कितने वक्त चढाया गया था ?
जुहा -यह गिनती तो हमने रखी नहीं, लेकिन बहुतसी वक्त चढाया गया था. - वकी०-जिस दिन वहांपर हीरेका मुकुट चढ़ाया जाता था, उसदिन आज सोने हीरेका मुकुट चढ़ाया है, ऐमा व्यवहार होता था या हीरेका मुकुट चढ़ाया है। ऐसा ? ____जुहा०-वहां परतो 'हीरेका मुकुट चढाया है' ऐसाही व्य. वहार होता है, नकि सोनेहीरेका.
वकी०-इससे भी यह सिद्ध हुआ कि-जैसे मुकुटमें हीरेकी मुख्यता है वैसेही सातम आठमकी, और त्रयोदशीमें चतुदशीकी मुरूपता है. इसीसे ही शास्त्रकार साफ २ फरमाते है
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