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॥ सप्तम किरण ॥
(स्थान-सेठ चंपालालजीके मकानपर बना हुआ मंडप)
रात्रीके नौ बजनेका समय है. शेठ चंपालालजीके यहां लड़कीकी शादी होनेसे भव्य मंडप बना हुआ है. मंडपकी शोभा भी अत्यंत दर्शनीय है ! आज भी यहां पर महफील होनेसे कितनेक व्यक्ति मंडपके बीचोबीच गदीपर बैठे हुए है. उनमें कुंवरसाहब सौभाग्यमलजी-इन्द्रमलजी-हसमुखरायजी-मगनी रामजी वगैरह बैठे हुए कुछ परस्पर बातचित कर रहे है.
हस०-(इन्द्रमलजीसे ) इस तत्वतरंगिणीके मामले में आपको कैसा लगता है ?
इन्द्र०-श्रीमान् उपाध्यायजी श्रीजंबुवि० मा० ने इस भाषांतरमें अर्थको पलटाया है ऐसातो अवश्य कहना पड़ेगा.
हस-परंतु मैं जब बम्बई आया था तब अपन दोनो लालबाग गये थे, और वहांपर इस चर्चाको उठाई थी, तब श्री कांति विजयजी मा० ने कैसा समझाया था कि-सचमुच इनका कहनाही वास्तविक है.
इन्द्र०-परंतु उसवक्त अपनेको तत्वतरंगिणीके पाठ बताकर नहीं समझाया था. ___हस०-पाठतो नहीं दिखाया था, लेकिन तत्वतरंगिणीका नामतो लिया था; और हां हीरप्रश्न-सेनप्रश्नका भी कहा था. कहा था इतना ही नहीं, किंतु हीरप्रश्न-सेनप्रश्न पर तो खूब
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