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(२०)
गुला०-( वकील सा० से ) तत्वतरंगिणी मंगवाईये. वकी०-( धूलचंदसें ) तत्वतरंगिणीतो ले आओ.
धूल०-तत्वतरंगिणीतो मिस्टर माणेकलालजी दो दिन हुए लेगये है, जो वापिस नहीं लोटाई गई है. यदि हुक्महोतो जाकर उनसे अभीही लिवा लाउँ.
वकी०-अच्छा, लिवा लाओ ! लेकिन जल्दी आना.
धूल-बहुत अच्छा. (धूलचंद जाता है, इतने में भोंपूके आवाजके साथही एक मोटर वकीलसाहबके मकान बाहर सडक पर रूकती है जिसमेंसे उतरकर ज्ञानचंदजी आते है और इन्द्रमलजीसे कहतें है)
__ ज्ञान-चलिये साहब ? शेठ साहब, काफी असेंसे आपकी इन्तजार कर रहे है.
इन्द्र०-मैं अब अपनी बात खतम कर आनेही वालाथा कि आप आगये. ( वकील सा० से ) साहब ! अब इस वक्त तो मैं आज्ञा चाहता हूं ! फिर और किसी वक्त हाजिर होउँगा. ___ वकी०-आप बखुशी तशरीफ ले आईये कष्टकी माफी दीजियेगा. (इन्द्रमलजी और ज्ञानचंदजी मोटरमें बैठते है, और मोटर फिर वही भोंपूके आवाजके साथ रवाना हो जाती है.)
वृद्धि०-(सबहीसे) अच्छा अब हम लोगों को भी चलना चाहिये. (सवही उठतें है)
वकी०-तशरीफ लाईयेगा साहबान !
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