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(२३)
इन्द्र० - आश्चर्य तो इस बातका है कि आप ३६५ दिनकी हाजरी देने वाले और आपने रजाली ! ( इस बीच में सेठ साहब भी आ जाते है. )
सेठ ०- (इन्द्रमलजी से ) क्यों साहब ! क्या मसला है ? इन्द्र० - आजतो वकील साहबने खूब हिम्मत की है ? सेठ० - वकील साहब ऐसे भोले नहीं है कि जो खामो खाही रजा लेवे इसके लिये मुझे पुरे एक कलाक तक वकीलसाहबके सामने पेरवी करना पड़ीथी (वकील सा० सें) कहिये साहब ! बरात के लिये अब आपका क्या कहना है ?
वकी० - ( सेठ० सा० से ) बरात के लिये तो मैं क्षमा चाहता हूँ सेठ० - क्षमा वमा कुच्छ नहीं बिना चले मुक्ति नहीं होगी ! आप अपने बजाय पेरो कारिका जोभी इन्तजाम सुनासिब समझे कर लेवें.
लाल०- (सेठ सा०से) वकील साहबको तो कुंकुम परही मेजना चाहिये.
सेठ ० - इतने दिन पहेलेसे वकील साहबको कष्ट देना उचित न होगा. इनको तो बरात ही मैं ले चलना ठीक है. वकील - (सेठ सा० से ) यदि आपका ऐसाही आग्रह है, तो मैं कुंकुम पर जा आउं ?
सेठ० - ब शर्ते कि बरातके साथ आना कबूल हो. आपने अपने बचावकी युक्ति तो सुंदर ढुंढी, परंतु यहां पर चल नहीं सकती ! आपको चाहिये कि आप अपनी पेरोकारीका इन्तजाम
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