________________
(२२)
माधो०-यदि दोही बजे तमाम रसोई बनजाय तो क्या इनाम देंगे?
लाल०-शावासी.
माधो०-यहतो मैं जानताही हूं कि "वणिकस्तुष्टो हस्ततालिं ददाति"
लाल०-नहीं नहीं ऐसा नहींहोगा. सेठसाहबसें इनामभी दिलवावेंगे घबराना नहीं काम अच्छा दिलचस्पीसें कियेजाओ.
माधो०-बहुत अच्छा.
गुलाबचंदजी (वकीलसाहबसे) सम्यक्व धारीयोंके यहां इतनी पोल!
वकी०-कैसे ? गुला०-यह जलेबी बन रही है. लाल०-(वीचहीमें)जलेबीका घोरन तोसुबह चार बजेकाहै!
गुला०-नहीं नहीं सबही बासी घोरन है और आथा तो पहलेका ही है.
वकी०-भाई अपने देशमें तो वासी और अभक्ष्यका कुछ ख्यालही नहीं! नियमलोंकों चाहिये, कि कोईभी वस्तु विचारकर काममें लेवे. (इतने में सामनेसे इन्द्रमलजी आते है.)
इन्द्र०-(वकी० सा० से) आज क्या कोर्ट में तातील है वकील साहब! ___ वकी०-कोर्टमें तो तातील नहीं है, परंतु शेठ साहब के यहां आज कार्य होनेकी वजहसें रजा लेली है.
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com