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॥ श्रीमन्महावीराय नमः ॥ पूज्यपाद सैलानानरेशप्रतिबोधकअद्वितीय आगममंदिरसंस्थापकआगमोद्धारक जैनाचार्य श्रीमतसागरानंदसूरीश्वरेभ्यो नमः ॥
पर्वतिथि प्रकाशतिमिर भास्कर
प्रथम किरण
(स्थान-रत्नपुरनगरके समीपका उद्यान)
पाठक महाशय ! आईये! आपभी उद्यानकी शोभाको देखिये और दो चार मित्रोंकी परस्पर होती हुई बातचितको मुनिये, आज चैत्र शुक्ला तृतीया (गनगोर)का दिवस है. अस्ताचलको जाते हुए सूर्यनारायणकी शोभा एक अनुपम दृश्यको उपस्थित कर रही है, पाठक महाशय ! देखिये, उद्यानके ठीक मध्यस्थ जो जिनमंदिर है, उसके मुवर्ण कलश पर गिरती हुई सूर्यकी आभा अतीव मनोरम दिखलाई देती है. मंदिरके सामने पानीके फव्वारोंसे ठंडा पानी प्रस्फुटित हो रहा है, फवारोंके चारों तरफ महदीकी टट्टी लगी हुई है. व दोनों तरफ उद्यानोपभोगोपस्थित महानुभावों के लिये बैठके बनी हुई है "आई वसंत बहार केसी झुले हमारी डार" का गीत गाते हुए उद्या
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