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। अथवा मोही पुरुषोंको तीन लोकमें ऐसा कौनसा खोटा कार्य वाकी रह ||
जाता है जिसे वे मोहसे अंधे होकर नहीं करते, सभी कर डालते हैं। जो कि इस लोक तथा - परलोक दोनोंके बिगाड़नेवाले हैं । ऐसा विचार कर उस वनके हरनेवाले भाईको मार-18| ६ नेके लिये वह कुमार क्रोध करता हुआ अपने बगीचेकी तरफ आया।उस कुमारके भयसे है अत्यंत डरता हुआ वह विशाखनंद शीघ्र ही कपित्थ (कैथ ) वृक्षके चारों तरफ़ वाड़ । लगाके बीचमें बैठगया । अद्भुत पराक्रमवाला भयको देनेवाला वह कुमार भी उस ? वृक्षको जड़ सहित उखाड़के अपने शत्रु भाईके मारनेको दौड़ा । उसके बाद वह विशा
खनंद पत्थरके बने हुए बड़े खंभेकी आडमें छिप गया। आचार्य कहते हैं-अन्याय करने& वालोंकी जीत कहां होसकती हैं ? । वह बलवान कुमार मूठके घातसे स्तंभको उखाड़ 1 सैकड़ों टुकड़े करता हुआ, ठीक है इस जगत्में बलवान् पुरुष क्या नहीं कर सकते ? र सभी कुछ कर सकते हैं।
वहांसे भागे हुए अपने नुकसान करनेवाले भाईको दीन समान मुंह करता हुआ देख उस कुमारको मनमें करुणा (दया) आई और ऐसा विचारने लगा। अहो । है इन विषय भोगोंको धिकार है जिनके लिये दीन मुख हुए भाइयोंको मारना बांधना || हैं आदि दंड ( सजा) किया जावे । यह जीव अनेक तरहके भोगोंको भोगता हुआ कभी