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म. वी. बोले, हे सुंदरि ! इन स्वप्नोंका उत्तम फल मैं कहता हूं सो तू सावधान होकर चित्त
लगाके सुन । हे काते हाथीके देखनेसे तेरा पुत्र तीर्थकर होगा और वैल देखनेसे
जगत्से पूज्य महान धर्मरूपी रथका चलानेवाला होगा । सिंहके दर्शनसे वह पुत्र कर्म ॥४७॥
रूपी हाथियोंको नाश करनेवाला अनंत वलसहित होगा और लक्ष्मीका अभिषेक देख६ नेसे सुमेरु पर्वतकी चोटी पर इन्द्रादिकोंसे उसको स्नान कराया जाइगा।
मालाओंके देखनेसे सुगंधी देहवाला और श्रेष्ठ धर्मज्ञानी होगा तथा पूर्ण चंद्रमाके & दर्शनसे श्रेष्ठधर्मरूपी अमृतका वर्षानेवाला व बुद्धिमानोंको आनंद करनेवाला होगा । सूर्य ह देखनेसे अज्ञानरूपी अंधकारको नाश करनेवाला सूर्यके समान कांतिवाला होगा और दो। 2. भरे हुए घड़ोंके देखनेसे अनेक निधियों का स्वामी ज्ञान ध्यानरूपी अमृतका घट होगा। मछलीके जोड़ेके देखनेसे सबको कल्याणकारी महान् सुखी होगा और सरोवर ( तालाव), के देखनेसे शुभलक्षण तथा व्यंजनोंसे शोभित शरीरवाला होगा। समुद्रके देखनेसे नौ केवल लब्धियोंवाला केवल ज्ञानी होगा तथा सिंहासनके देखनेसे महाराजपदके योग्य जगत्कार गुरु होगा । स्वर्गविमानके देखनेसे वह पुत्र स्वर्गसे आकर अवतार ( जन्म ) लेगा और है, नागेन्द्रके भवनके अवलोकनसे वह अवधिज्ञानरूपी नेत्रका धारी होगा । रत्नोंकी राशि ॥४७॥ दर्शनसे सम्यग्दर्शन ज्ञान चारित्रादि रत्नोंकी खानि होगा और निर्धूम अग्निके दर्शनसे