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Bीया नहीं। उसके बाद उस राजाके ऊपर कृपा करके श्रीगौतम स्वामी वोले, हे बुद्धिमान् शाअपने शोकके हटानेवाले ऐसे सत्य वचन तू सुन ।
___ इसी नगरमें स्थितिबंधके वशसे खोटे कर्मसे मनुष्यआयु वांधकर नीच कुलमें पैदा हुआ एक काल शौकरिक-भंगी रहता है। उसे अब पहले सात भवोंका जातिस्मरण हुआ। है । वह ऐसा विचारने लगा है कि पुण्य पापके फलसे इस जीवका यदि संबंध होता तो मैंने विना पुण्यके यह मनुष्यजन्म कैसे पालिया । इसलिये न पुण्य है न पाप है किंतु विषयसुख ही कल्याण करनेवाला है।
ऐसा समझकर वह पापी शंकारहित हुआ हिंसादि पांचों पापोंको तथा मांसादि आहारको करता है उसके फलसे बहुत आरंभ व परिग्रहके कारण उसने नरकायु बांध रक्खी है इसलिये वह आयुके अंतमें पापके उदयसे सांतवें नरकमें अवश्य जायगा । और दूसरी शुभ नामवाली एक ब्राह्मणकी लड़की है वह रागसे अंधी मदोन्मत्त उत्कृष्ट स्त्री वेदकर्मके फलसे शीलरहित विवेकरहित हुई गुण शील श्रेष्ठ आचरणोंको देखकर व सुनकर अत्यंत क्रोध करनेवाली है। उसने इंद्रियोंकी लंपटता (विषयोंमें इच्छा ) से नरकायु बांध ली है इसलिये वह रौद्रध्यानसे मरकर पापके उदयसे सब दुःखोकी खानि तथा । निंदनीक ऐसी नरककी छठी तमामभा नामकी पृथ्वीमें जन्म लेगी।
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