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स्वामीकी मैं वारंवार नमस्कार पूर्वक स्तुति करता हूं कि मरे भा ... ..... दें । इस वावत बहुत कहनसे क्या लाभ, वस इतना ही कहना चाहता हूं कि स्तुति गये श्री महावीर प्रभु मुझे भी अपने समान सुख और मुक्ति होनेके लिये अद्भुत
गुणोंको कृपाकर देवें॥ S इति प्रशस्तिःसमाता। श्री महावीर प्रभुके इस पवित्र चरित्रकी ग्रंथसंह |सब तीनहजार पैंतीस श्लोक हैं। शुभमस्तु प्रकाशकपाठकयोः ।
8 समाप्तमिदं महावीरपुराणम् ।