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सोनेकी झाड़ीकी नलीसे स्वच्छ जलधारा अपने पापोंकी शुद्धिके लिये जिनेन्द्रके चरण
कमलोंके आगे डालते हुए । फिर वे इंद्र महान् भक्तिसे दिव्य गंधवाले घिसे चंदनसे हा भगवानके रमणीक सिंहासनके अग्रभागको भोग और मोक्षके लिये पूजते हुए। ___आकाशको सफेद करनेवाले दिव्य मोतियोंके अक्षतोंके पांच ऊंचे पुंज अक्षय सुखके लिये प्रभुके आगे चढ़ाते हुए । वे इंद्र कल्पवृक्षोसे उत्पन्न दिव्य पुष्पोंसे. सर्व ||
अर्थीको साधनेवाली विभुकी महान् पूजा करते हुए । अमृतके पिंडसे उत्पन्न नैवेद्योंको हारत्नोंकी थालीमें रखकर वे इंद्रे प्रभुके चरणकमलोंके आगे अपने सुखकी प्राप्तिके लिये Kभक्तिपूर्वक चढ़ाते हुए । सवको प्रकाशित करनेवाले स्फुरायमान रत्नोमयी दीपकोंसे वे
इंद्र अपने ज्ञानप्राप्तिके लिये जगत्स्वामीके चरणकमलोंको प्रकाशित करते हुए। । काले अगरको आदि उत्तम सुगंधित द्रव्य लेकर बनाये हुए धूपसे जिनेंद्रक ।
चरणकमलोंकी पूजा वह इंद्र धर्मकी प्राप्तिके लिये करता हुआ, उस धूपके धुंएसे सब दिशायें सुगंधित हो गई थीं। वे इंद्र कल्पवृक्षोंसे उत्पन्न हुए और नेत्रोंको प्रिय ऐसे
अनेक फलोंसे भगवान के चरणकमलोंको महान फलकी प्राप्तिके लिये पूजते हुए। वे १४ इंद्र पूजाके अंतमें करोड़ों पुष्पोंसे जगत्गुरुके चारों तरफ फूलोंकी वर्षा करते हुए । उस |
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