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क्रोध मोहरूपी आगसे तपा हुआ विचाररहित दयाहीन मिथ्यात्वे वसा हुआ पाप शास्त्रोंमें लगा हुआ और विषयोंसे व्याकुल ऐसा मन मनुष्योंके घोर पापको पैदा करनेवाला होता है। पराई निंदा करनेवाले अपनी प्रशंसा करनेवाले असत्यसे दूषित पाप है। कर्मके कहनेवाले मिथ्या शास्त्रोंके अभ्यासमें लीन धर्मको दोप देनेवाले और जिन सूत्रके ? विरुद्ध-ऐसे वचन पुरुषोंको पापका संग्रह करनेवाले होते हैं।
खोटे कर्म करनेवाला दुष्टरूप मारना बांधना करनेवाला विकाररूप दान पूजासे हारहित अपनी इच्छासे आचरण करने वाला तप और व्रतसे रहित ऐसा शरीर पापियोंके | नरकका कारण ऐसे महान् पापको पैदा करता है । जिनेंद्र देव जिन सिद्धांत निग्रंथ गुरु जिन धर्मी इन सबकी निंदा करनेसे मिथ्यातियोंके महान पाप होता है। इस प्रकार |
वह जिनेश इत्यादि महा पापके कारण बहुतसे निंदनीक कामोंको भव्य जीवोंको संसारिसे भय होनेके लिये उपदेश करते हुए।
दुष्ट स्त्री लोकनिंद्य और शत्रुके समान भाई दुर्व्यसनी पुत्र प्राण लेनेवाले कुटुंबी जन रोग केश दरिद्र अवस्था वध बंधन-ये सब दुःख पापियोंके पापके उदयसे होते ? ह। अंधे गूंगे कुरूप ( वदमूरत ) अंगहीन सुखरहित पांगले बहरे कूबड़े पराये घर स दासपना करनेवाले दीन दुर्बुद्धि निंदनीक दुष्ट पापमें लीन पापशास्त्रों में लीन गेसे पाणी
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