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1 . हे ईश आपके वचनरूपी तलवारके प्रहारसे घायल हुआ मोहरूपी वैरी तुमको पु. भा. ६ छोड़कर अपनी सेनासहित भागके जड़स्वरूप मन और इंद्रियोंका आश्रय लेता हुआ।
अ.१९ ४२॥
। हे देव तुम्हारे धर्मोपदेशरूपी वज्रपातसे पीटा गया कामदेव आज इंद्रियरूपी चोरों सहित है मरनेकी अवस्थाको प्राप्त हो गया है । हे नाथ तुम्हारे केवल ज्ञानरूपी चंद्रमाके उदयसे । 8 बुद्धिमानोंको सम्यग्दर्शन आदि रत्नोंका देनेवाला ऐसा धर्मरूपी समुद्र बढ गया। हे दा है भगवन् आज आपके धर्मोपदेशरूपी हथियारसे तीन जगतके जीवोंको दुःख देनेवाला है ऐसा भव्योंका पापरूपी वैरी नाशको प्राप्त हो गया।
हे नाथ कितने ही भव्य आज तुमसे दर्शन चारित्र वगैरः उत्तम लक्ष्मीको पाकर । 1। अनंत सुखके लिये मोक्षमार्गपर जा रहे हैं । हे ईश आज कितने ही भव्य आपसे रत्न
त्रय व तपरूपी वाणोंको पाकर मोक्ष पानेकेलिये बहुत कालसे आयेहुए कर्मरूपी 14 वैरियोंको मारेंगे । हे प्रभो तुम प्रतिदिन तीन जगतके भव्योंको सम्यग्दर्शन ज्ञान चारित्रहै धर्मरूपी उत्तम चिंतामणि रत्नोंके देनेवाले हो । जो रत्न चितवन किये गये सुखके समुद्र अमूल्य श्रेष्ठ पदार्थोंको देनेवाले हैं । इसलिये लोकमें तुमारे समान महान दाता महा धनवान् कोई नहीं हो सकता ।
॥१४२॥ हे स्वामिन मोहनिद्रासे अचेत ( बेहोश ) सोया हुआ यह जगत आपके वचनरूपी /