Book Title: Mahavira Purana
Author(s): Manoharlal Shastri
Publisher: Jain Granth Uddharak Karyalaya

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Page 296
________________ उद्धार करो । हे देव आपके धर्मोपदेशरूपी वाणोंसे पुण्यात्मा जीव स्वर्ग मोक्षकी प्राप्तिके लिये जगतको दुःख देनेवाले दुर्जय ऐसे मोहरूपी वैरीको अवश्य जीतेंगे । और अव देवोंसे घिरा हुआ यह धर्मचक्र भी सज गया है जो कि मिथ्याज्ञानR/ रूपी अंधकारको नाश करनेवाला है और आपकी जीतको कहनेवाला है । हे नाथ । सत्य मार्गके उपदेश करनेके लिये तथा मिथ्यामार्गको हटाने लिये यह काल भी आपके सामने आकर उपस्थित ( हाजिर ) हुआ है, इसलिये हे देव वहुत कहनेसे क्या लाभ है अब आप विहार करके आर्यखंडके भन्यजीवोंको श्रेष्ठ वाणीसे पवित्र करो-रक्षण, | करो । क्योंकि किसी समयमें भी आपके समान दूसरा कोई भी बुद्धिमान् भव्योंको। १ स्वर्ग मोक्षका रास्ता दिखलानेवाला व मिथ्यामार्गरूपी अत्यंत अंधेरेको हटानेवाला नहीं मिल सकता। इसलिये हे देव आपको नमस्कार है गुणोंके समुद्र आपको नमस्कार है अनंत ! ज्ञान अनंत दर्शन अनंत गुखवाले आपको नमस्कार है। अनंत बलस्वरूप दिव्यमूर्ति है अद्भुत महान् दक्ष्मीसे शोभित वैरागी आपको नमस्कार है । असंख्यात देवियोंकर घिरे ॥१४॥ । होनेपर ब्रह्मचारी, उदयको प्राप्त ज्ञानवाले, मोहरूपी वैरीके नाश करनेवाले आपको

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