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नहीं करते और करोड़ों घरके व्यापारोंसे पापकर्म करते हैं उनका शरीर निंदनीक व तप करने में असमर्थ होता है । इसप्रकार वे जिनेंद्रदेव दिव्यवाणीसे सव सभ्य गणोंसहित गणधर देव गौतमस्वामीको प्रश्नोंका उत्तर देते हुए । वह उत्तर सार्थक युक्तिपूर्वक था। ऐसे श्री महावीरस्वामीको मैं भक्तिपूर्वक स्तुति करता हूं।
इस प्रकार श्री सकलकीर्तिदेव विरचित महावीरपुराणमें श्रीगौतमस्वामीकर की गई प्रश्नमालाके उत्तरोंको कहनेवाला सत्रहवां अधिकार पूर्ण हुआ ॥ १७ ॥
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