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उसीमें शलाका ( पदवी धारक ) पुरुष पैदा होते हैं। उस कालका प्रमाण व्यालीस हजार शिवर्ष कम एक कोडाकोड़ी सागर है । उसकी आदिमें होनेवाले मनुष्योंकी आयु एक Titकरोड़ पूर्व वर्षकी है, शरीर पांचसौ धनुष ऊँचा होता है और रंगत पांचों तरहकी होती है । वे मनुष्य दिनमें एक वार उत्तम भोजन करते हैं, उसी कालमें ये कहे जानेवाले।
सठ शलाका पुरुष उत्पन्न होते हैं। हा ऋषभ अजित संभव अभिनंदन सुमति पद्मप्रभ सुपाश्व चंद्रप्रभ पुष्पदंत शीतल|
श्रेयान् वासुपूज्य विमल अनंत धर्म शांति कुंथुः अर माल्ल मुनिसुव्रत नमि नेमि पावनाथ श्रीवर्धमान ( महावीर )-ये चौवीस तीर्थकर तीन लोकके स्वामी इंद्रादिकोंसे नम है स्कार किये जाते हैं । भरत सगर मघवा सनत्कुमार शांतिनाथ कुंथुनाथ अरनाथ सुभूम . महापद्म हरिषेण जयकुमार ब्रह्मदत्त-ये बारह चक्रवर्ती हैं । विजय अचल धर्म सुप्रभ सुदर्शन नांदी नदिमित्र पद्म ( रामचंद्र ) ( राम ) बलदेव-ये नौ वलभद्र हैं । त्रिपृष्ट द्विपृष्ट । स्वयंभू पुरुषोत्तम पुरुषसिंह पुंडरीक दत्त लक्ष्मण कृष्ण-ये नौ नारायण हैं। ये तीन
खंडके स्वामी धीर वीर और स्वभावसे रौद्र परिणामी होते हैं। ISL अश्वग्रीव तारक मेरक निशुभ कैटिभारि मधुसूदन बलिहंता रावण जरासंध-ये
नौ प्रति नारायण हैं । ये प्रतिनारायण नारायणके समान संपदाओंवाले अर्धचक्री
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