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. वी. न शरीर निर्वल शरीर मिलता है ? । मोक्षका मार्ग क्या है फल क्या है और मोक्षका पु. भा. लक्षण (स्वरूप ) क्या है ? । मुनियोंका उत्तम धर्म कौनसा है और गृहस्थों (श्रावकों)
अ.१६ २१३॥ का धर्म कौन है । उन दोनों धर्मीका उत्तम फल क्या मिलता है ? धर्मके कारण और भेद
कौनसे हैं शुभ आचरण कौन हैं।
वारह कालोंका स्वरूप कैसा है तीन लोककी स्थिति (वनावट ) कैसी है इस पृथ्वीपर शलाका ('पदवी धारक ) पुरुप कौन हो गये हैं। इस बावत वहुत कहनेसे क्या .. हा लाभ परंतु भूत भविष्यत् वर्तमान इन तीन काल विपयक द्वादशांगसे उत्पन्न जितना ज्ञान हा है वह सब हे कृपानाथ भव्योंके उपकारके लिये स्वर्ग मोक्षके कारण धर्मकी प्राप्तिके है
लिये अपनी दिव्य ध्वनिसे उपदेश करौ । इस प्रकार प्रश्नके वशसे सव भव्योंके हित है 18 करनेमें उद्यमी वह तीर्थराज महावीर प्रभु दिव्य ध्वनिसे तत्त्व आदि प्रश्नोंकी राशियोंके है
उत्तरको स्वर्ग मोक्षके सुखके लिये और मोक्षमार्गकी प्रवृत्ति के लिये इस प्रकार कहते
हुए । हे बुद्धिमान् गौतम ! सब जीवोंके साथ तू स्थिर चित्त करके यह सब तेरे इष्टका 18/ साधक कहाजानेवाला उत्तररूप उपदेश सुन ।
कहनेवाले प्रभुके थोड़ीसी भी ओठ वगैरःकी चलनक्रिया समतारूप मुखकमल- ॥११३॥ में नहीं होती हुई तो भी प्रभुके मुखकमलसे रमणीक सव संशयोंको हटानेवाली मिष्ट ।
लन्डन्छन्