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किस खोटे कर्मसे दुःख देनेवाली तिर्यंच (पशु) गतिमें जाते हैं और किन श्रेष्ठ आचरणोंसे धर्मात्मा स्वर्गको जाते हैं। किस शुभकर्मसे लक्ष्मीका सुख देनेवाली KI/मनुष्य गतिको जाते हैं और किस दानके प्रभावसे शुभ परिणामवाले जीव भोग
भोमिमें जाते हैं। किस आचरणसे जीवोंके स्त्रीलिंग होता है, किससे स्त्रियोंको पुरुष- १ सापर्यायकी प्राप्ति हो सकती है और किस कारणसे दुष्टात्माओंको नपुंसकलिंग मिलता है। किस पापसे ये जीव दुःखी हुए पांगले वहिरे अंधे गूंगे अंगहीन होते हैं।
किस कर्मसे ये जीव रोगी नीरोगी रूपवान् कुरूप सुभग दुर्भग इस संसारमेंश होते हैं। किस कर्मसे मनुष्य बुद्धिमान दुर्बुद्धि मूर्ख पंडित शुभ परिणामी और अशुभ
अंतरंगवाले होते हैं । किन आचरणोंसे धर्मी पापी भोगोंवाले भोगरहित धनवान् । KIनिर्धन हो जाते हैं। किस कर्मसे अपने कुटुंबियोंसे वियोग पाते हैं और इष्ट बंधुओं वा
इष्ट वस्तुओंसे संयोग हो जाता है । इस पृथ्वीपर मनुष्योंके पुत्र किस कर्मसे नहीं जीते हैं और किस कर्मसे वांझपना होता है तथा पुत्र बहुत कालतक जीते हैं । किस कर्मसे डरपोकपना धैर्य निंदा निर्मल कीर्ति कुशील तथा सुशीलपना प्राप्त होता है।
किस कारणसे जीवोंको अच्छी संगति खोटी संगति विवेक मूर्खपना उत्तम कुलह नीन कुल प्राप्त होता है ?। किस कर्मसे मिथ्या मार्गमें प्रीति जिनधर्ममें महान् प्रेम बलवा-2
उसमरालयल