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म. वी. उदय जानकर खुशीके साथ आसनसे उठके प्रभुकी भक्तिसे नम्र हुए धर्ममें उत्सुक
होते हुए। ॥१३॥ उसी समय ज्योतिषी देवोंके यहां महान् सिंहनाद हुआ और सिंहासन कंपित |
हुए । भवनवासियोंके महलोंमें शंखकी ध्वनि होती हुई अन्य सव आश्चर्य पूर्ववत् हुए। व्यंतर देवोंके महलोंमें भी भेरी वाजेकी बहुत आवाज होती हुई और सव आश्चर्य ज्ञानके सूचक पूर्वकी तरह जानना । इन आश्चर्योसे उन प्रभुके केवल ज्ञानका होना जानकर मस्तक नवाते हुए सव इंद्र ज्ञान कल्याणकः उत्सव करनेकी बुद्धि करते हुए । उसके
बाद पहले स्वर्गका सौधर्म इंद्र केवल ज्ञानकी पूजाके लिये यात्राके वाजोंको बजवाता पहा हुआ देवों सहित स्वर्गसे निकला। । उस समय बलाहक देव मेषके आकार कामक नामका विमान बनाता हुआ। वही विमान जंबूद्वीपके वरावर रमणीक मोतियोंकी मालाओंसे शोभायमान अनेक रत्नमयी दिव्य तेजसे जिसने सब दिशाओंको घेर लिया है छोटी २ घंटियोंकी आवाजसे वाचाल ऐसा था । उसी समय नागदत्त नामका आभियोग्य जातिका देव बहुत ऊँचे ऐरावत
हाथीको रचता हुआ । वह ऐरावत हाथी ऊंची मुंडवाला बड़े शरीरवाला गोल और ॥२३॥ II ऊंचे मस्तकवाला बलवान् दिव्य व्यंजन लक्षणोंसे युक्त शरीरवाला स्थूल बड़ी अनेक