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म. वी.
स्वामियों इंद्रधरणेंद्र चक्रवर्तियोंकर सेवने योग्य सबलोकके अद्वितीयवंधु सव दोपों रहित धर्मरूपी तीर्थके प्रवर्तानेवाले ऐसे श्रीमहावीर स्वामीकी मोक्षके गुणोंकी प्राप्तिके लिये स्तुति करता हूं। इस प्रकार श्री सकलकीर्तिदेव विरचित महावीर पुराणमें देवोंका आगमन व समवसरण
मंडपकी रचनाको कहनेवाला चौदहवां अधिकार पूर्ण हुआ ॥ १४ ॥
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