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मणिकी बनी हुई थीं। उन नाटक शालाओंकी रंगभूमियोंमें सुंदर अप्सरायें नृत्य कर रही थीं। कितनेही गंधर्वदेव वीणा बजाते हुए दिव्य कंठसे प्रभुकी जीतको तथा केवल ज्ञानके समय होनेवाले गुणोंको गाते थे।
उन रास्तोंके दोनों ओर दो दो धूप घड़े थे उन घड़ोंसे चारों तरफ फैलते हुए धुएंकी सुगंधीसे सव आकाश सुगंधित हो गया था। उसके आगे कुछ दूर चलकर
रास्तोंके किनारे चार वनवीथीं थीं वे सव ऋतुओंके फल फूलोंवाली ऐसी मालूम होती थीं ली हमानों दूसरे नंदनादि वन ही हों। उनमें अशोक वृक्षोंका पहला वन था और सप्तपर्ण हा
चंपक आमवृक्षोंके तीन वन थे । वे चारों वन ऊंचे २ वृक्षोंके समूहोंसे बहुत शोभायमान है. थे। उन वनोंके वीचमें कहीं पर जलसे भरी हुई तिकोनी चौकोनी वावड़ियें थीं उनकी ! बड़ी २ कमलिनी थीं। ___उन वनोंमें कहीं पर रमणीक महल बनेहुए थे कहींपर खेलनेके मंडप थे। कहीं शोभा। देखनेके लिये ऊँचे घर बने हुए थे और कहींपर उत्तम चित्रशालायें बनी हुई थीं। कहीं कहीं। पर एक मंजिलके तथा दो मंजिल आदिके मकानोंकी लेने लगी हुई थीं । कहीं कृत्रिम पहाड़ बने हुए थे । उन वनोंमेंसे पहले अशोक वनमें सुवर्णकी बनी हुई तीन कटनी. दार ऊँची रमणीक वेदिका थी उसपर विराजमान एक अशोक चैत्य क्ष था। वह वृक्ष.
मन्जललाज
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