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होने लगे मानों ज्योतिषचक्रसे घिरे हुए हैं। उन प्रभुके मुखरूपी चंद्रमाकी उत्तम शोभा क्या वर्णन की जावे कि जिससे जगत्का हित करनेवाली दिव्य ध्वनि निकलती है । उस प्रभुके नासिका ओठ दांत और कंठकी स्वाभाविक सुंदरता जो थी उसके कहनेको कोई बुद्धिमान् समर्थ नहीं है । उस प्रभुका महान् वक्षःस्थल रत्नोंके 'हारसे सजा हुआ ऐसी शोभा देता था मानों वीरतालक्ष्मीका घर ही हो ।
. अंगूठी बाजू कंकणादिसे भूषित भुजायें ऐसी मालूम होती थीं मानों लोगों को इच्छित वस्तुके देनेवाले दो कल्पवृक्ष ही हैं। हाथोंके आश्रित दस नख अपनी किरणोंसे ऐसे दीखते हुए मानों लोगोंको धर्मके दस अंग कहनेको उद्यत हो रहे हैं । उन प्रभुके अंग में गहरी नाभि ऐसी मालूम होने लगी मानों सरस्वती और लक्ष्मीके क्रीडा करनेके( लिये सरोवर ( तालाव ) ही हो । वे प्रभु कपड़ेसे घिरी हुई कमर में करधनी पहरते हुए ऐसे मालूम होने लगे मानों कामदेवरूपी वैरीको बांधने के लिए नागफांस ही रख छोड़ी हो ।
वे महावीर प्रभु प्रकाशमान दोनों जानु और केले के मध्यभागके समान कोमल जांघों को धारण करते हुए, परंतु वे जांघें कोमल होनेपर भी व्युत्सर्गादि तप करने में समर्थ थीं। इस प्रभुके चरणकमलोंकी महान् कांतिकी किससे बराबरी की जा सकती है। जिन चरणोंकी सेवा इंद्र नोकरकी तरह करते हैं । इत्यादि परम शोभा प्रभुके नखसे
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