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महान् साहसको देखकर बहुत खुश होते हैं तो सज्जनोंका कहना ही क्या है उनका तो स्वभाव ही है। । अथानंतर चेटक राजाकी चंदना नामकी पुत्री महान् सती वनक्रीडामें लीन हुईको म कोई कामसे पीडित पापी विद्याधर देखकर किसी उपाय ( तजवीज) से शीघ्र ले|
जाता हुआ। पीछे अपनी स्त्रीके डरसे बडे भारी जंगलमें उस सतीको छोडता हुआ। A) वह महासती अपने पापकर्मका उदय जानकर वहींपर पंच नमस्कार मंत्र जपती हुई धर्म-1 सध्यानमें लीन होती हुई । उस जगह कोई भीलोंका स्वामी उसे देख धनकी इच्छासे पभसेन सेठके पास ले जाकर सोंप देता हुआ।
सेठकी सुभद्रा नामकी स्त्री उस सतीकी रूपसंपदाको देख यह मेरी सौत होगी । ऐसी शक मनमें रखती हुई । उसके बाद वह सेठानी उस सतीके रूपको विगाड़नेके-11 लिये पुराने कोदोंका भात आरनालसे मिला हुआ हमेशा सरवेमें रखकर चंदना सतीको || देती थी और फिर लोहेकी सांकलसे बांध देती थी तो भी वह बुद्धिमती सती धर्मकी
भावना नहीं छोड़ती थी। किसी दिन वत्सदेशकी उसी कौशांबी नगरीमें रागसे रहित IS महावीर प्रभु कायकी स्थिरताके लिये आहारार्थ प्रवेश करते हुए। ऐसे उत्तम पात्र
प्रभुको देखकर वह सती वंधन रहित होगई और पुण्यके उदयसे पात्रदानके लिये वह
जन्सललल