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जन्मन्सन्स
दूसरे भी देखनेवाले लोग बैठते हुए । वह इंद्र पहले २ नेत्रोंको आनंदित करनेवाला || जन्माभिषेक संबंधी दृश्य दिखाता हुआ। फिर जिनेन्द्रके पूर्वजन्मके अवतारोंको नाटककी तरह दिखलाता नृत्य करता हुआ वह इंद्र कल्पवृक्षके समान मालूम होने लगा। लयके साथ पैरोंको चलाता हुआ वह इंद्र रंगभूमिके चारों तरफ फेरी मारकर विमा-16 नकी तरह शोभायमान होता हुआ।
पुष्पांजलि वखेरकर तडिव नृत्यको आरंभ करनेवाले उस इंद्रके ऊपर भक्तिवंत देव पुष्पोंकी वर्षा करते हुए । उस नृत्यके समय उसके योग्य करोड़ों बाजे बजते हुए, वीणा और बांसुरी भी मधुर शब्द करते हुए। किन्नरी देवियें भी श्रीजिनेन्द्रके गुणोंको है। कहनेवाले गीतोंको लयके साथ गाती हुई । क्रमसे पूर्वरंग करके वह इंद्र अद्भुतरस ।। दिखलाता हुआ रत्नोंके अलंकारोंसे भूषित हजार भुजाओंसे तांडव नृत्य करने लगा।
विक्रिया ऋद्धिके प्रभावसे उत्तम नृत्य करता हुआ वह इंद्र पैर कमर कंठ हाथोंको । फड़काता राजा वगैरः सब लोगोंको प्रसन्न करता हुआ। हजार भुजाओंसे नृत्य करते, हुए उस इंद्रके चरणों के चलनेसे उससमय पृथ्वी चलायमान होने लगी। . सव तरफ आखोंके तारोंको ( कटाक्षोंको) फेंकता हुआ व वस्त्र और आभूष-IN माणोंको चलायमान करता हुआ वह कल्पवृक्षके समान नृत्य करता हुआ । क्षणभरमें एक