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६ खड़ारहा । वे महोदय दोनों जन्माभिषेककी सब बातें सुनकर आश्चर्य सहित हुए खुशीकी र परम सीमाको प्राप्त हुए अर्थात् बहुत प्रसन्न हुए।
वे दोनों मातापिता इंद्रकी सम्मति लेकर बंधुओंके साथ अपने पुत्रका जन्ममहो॥६२॥
६ त्सव करते हुए । सबसे पहले श्रीजैनमंदिरमें महान् सामग्रीके साथ भगवानकी महामह हूँ ४ पूजा करते हुए, जो कि सव संपदाओंको सिद्ध करनेवाली है । उसके बाद अपने है ? बंधुओंको तथा नौकरोंको अनेक तरहके दान देते हुए और वंदिगण व दीन अनाथोंको है है योग्यतानुसार दान दिया। उससमय तोरणोंसे (मालाओंसे) ऊंची धुजाओंसे, गाने है 2 नाचने और वाजोंसे, तथा अन्यभी सैकड़ों उत्सवोंसे वह नगर स्वर्गके समान मालूम ! पड़ने लगा और राजमंदिर स्वर्गके महलोंके समान दीखने लगा।
ऐसा देखकर सब कुटुंबी और प्रजाके लोग बहुत आनंदयुक्त होते हुए । वह १. देवेन्द्र सव बंधुओंको और पुरवासियोंको खुश हुआ देखकर आप भी अपनी खुशी प्रगट , ४ करता हुआ । वह इंद्र उससमय आनंदसे भरेहुए त्रिवर्ग फलका साधन ऐसे दिव्य ! । नाटकको गुरुकी सेवाके लिये देवियोंके साथ करता हुआ । उस इंद्रके नृत्यके आरंभ 2 होनेपर गंधर्वदेव सुंदरगाना दिव्य वाजोंके साथ गाते हुए । उस सभामें नाटक देख-४॥२॥ , नेके लिये सिद्धार्थ वगैरः राजा पुत्रको गोदमें लिये हुए और उनकी रानियें तथा ?