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गुणोंमें रंजायमान होनेसे आपसे ही प्रेम रखते हैं। देखो बुद्धिमान पुरुष आपको ही
मोहरूपी महायोधाके जीतनेवाले, शरणमें आये हुओंको मोहरूपी अंधे कुएसे रक्षा करहानेवाले, कर्मरूपी वैरियोंको नाश करनेवाले, भव्य समूहोंको अविनाशी मोक्षमार्गपर || पहलेजानेवाले मानते हैं । हे नाथ आज आपका जन्माभिषेक करनेसे हम पवित्र हुए हैं और आपके गुणोंको याद करनेसे हमारा मन भी निर्मल होगया है।
हे गुणों के समुद्र आपकी स्तुति करनेसे हमारे वचन सफल हो गये और आपके शरीरकी सेवासे हमारा शरीर भी सफल हुआ । हे स्वामी जैसे उत्तम खानीसे निकला हुआ रत्न संस्कार किये जानेपर अधिक चमकने लगता है वैसे ही स्नान वगैरहसे संस्कार कियेगये आप भी अधिक शोभायमान होरहे हैं । हे नाथ इस पृथ्वीके ऊपर आप तीन 8
जगतके स्वामियोंके भी स्वामी हौ और विनाकारण जगतके हितकरनेसे बंधु भी आप डाही हौ । इसलिये परमआनंदको देनेवाले आपके लिये नमस्कार है और तीन ज्ञानरूपी नेत्रवाले हे परमात्मन् आपको नमस्कार है।
हे भगवान् धर्मतीर्थके प्रवर्तानेवाले, श्रेष्ठगुणोंके समुद्र और मल पसीना आदिसे रहित ऐसे दिव्य शरीरवाले आपको नमस्कार है । हे देव निर्वाणके दिखलाने वाले, कर्मरूपी
रून्सन्न्कन्सन्छन्डन्सन्छन्