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म. वी. उसके बाद वुद्धिवान् वह इंद्र हर्षित हुआ प्रभुकी स्तुति करनेको उद्यमी होता हुआ और | पु. भा.
तीर्थकरपुण्यके उदयसे उत्पन्न गुणोंकी प्रशंसा करने लगा । हे देव ! स्नानके विना ही ह.. पवित्र अंगवाले आपको केवल अपने पापोंकी शांतिके लिये हमने आज भक्तिसे स्नान | कराया है । हे तीन जगतके आभूषण ! तुम आभूषणों के विना ही अतिसुंदर हौ तौ भी है। हमने अपने सुखहोनेके लिये प्रीतिसे आपको आभूषणों से सजाया है । हे प्रभो तुमारी महान । गुणोंकी राशि आज सव विश्वको पूरके इंद्रोंके हृदयमें विचर रही है। का हे देव कल्याणकी इच्छावाले तुमसे ही कल्याण पावेंगे और मोहमें फंसे हुए
आपकी वाणीसे ही मोहरूपी शत्रुका नाश करेंगे। तुमसे प्रवर्तित धर्मतीर्थरूपी जिहाजसे रत्नत्रय धनवाले भव्यात्मा अपार संसारसमुद्रको पार करेंगे। हे नाथ आपके वचनरूपी किरणोंसे भव्यजीवोंका मिथ्याज्ञानरूप अंधकार शीघ्र ही नाश हो जाइगा इसमें संदेह है। नहीं है । हे ईश मोक्षका कारण ऐसे सम्यग्दर्शनादि रत्नत्रयकी वर्षा आप करेंगे इस कारण आप सत्पुरुपोंके लिये महान दाता हैं । हे स्वामिन् आप केवल अपनी मोक्षमाप्तिके लिये नहीं उत्पन्न हुए हैं किंतु बुद्धिमान भव्यजीवोंको मोक्षमार्ग दिखलानेसे है। उनको भी स्वर्ग मोक्षकी सिद्धि करानके लिये आपने जन्म धारण किया है। ॥६०॥
हे महाभाग मोक्षरूपी स्त्री तुममें ही आसक्त होरही है और भव्यजीव भी आपके l