________________
म. वी.
अ.७
॥४५॥
महारानी महलके अंदर कोमल सेजपर सुखसे निश्चित: सोई होई शुभ रातके पिछले पु. भा. हैं पहरमें पुण्योदयसे इन कहे जानेवाले सोलह स्वमोंको देखती हुई, जो कि जगतके कल्याण है करनेवाले व सबके सौभाग्यके सूचक हैं । उन सोलहमेंसे पहले बड़े मदोन्मत्त हाथीको र देखा, वाद गंभीर आवाजवाला ऊंचे कंधेवाला चंद्रमासमान सफेद बैल देखा । तीसरा 2 महाकांतिवान् बड़े शरीरवाला तथा लाल कंधेवाला ऐसा सिंह देखा । चौथा कमलमयी
सिंहासनके ऊपर बैठी हुई लक्ष्मी देवीको देवहस्तियोंकर पकड़े गये सुवर्णके घटोंसे । स्नान करते हुए देखा। पांचवां सुगंधित दो मालायें देखीं और छठा ताराओंकर | मंडित संपूर्ण चंद्रमाको देखा जिसने कि अंधकारको हटा दिया है।
सातवां अंधकारको विलकुल नाश करनेवाले प्रकाशमान सूर्यको उदयाचलपर्वतसे । निकलता हुआ देखा । आठवां कमलके पत्तोंसे ढके हुए मुंहवाले सोनेके दो घड़े देखे। ६ नवमा स्वम कमोदनी और कमलिनी जिसमें खिल रही हैं ऐसे तालावमें क्रीडा करती है १ हुई दो मछलियां देखीं । दशवां स्वम एक भरा हुआ सरोवर ( तालाव ) देखा जिसमें 8 * कमलोंकी पाली रज तैर रहीं हैं । ग्यारवां स्वम गंभीरशब्द करता हुआ चंचल लहरोंवाला
समुद्र देखा । वारवां स्वम दैदीप्यमान मणिमयी ऊंचा उत्तम सिंहासन देखा । तेरवां ॥४५॥ स्वप्न बहुमूल्य रत्नोंसे प्रकाशमान स्वर्गका विमान देखा । चौदवां स्वम पृथ्वीको फाड़