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१०. एकेन्द्रिय से पंचेन्द्रिय पर्यन्त तिर्यञ्च जीवों के वध के कारण,
९९०-९९१ ११. पृथ्वीकायिकादि जीवों की हिंसा के कारण, ९९१-९९२ १२. प्राणवधकों की मनोवृत्ति,
९९२ १३. हिंसकजनों का परिचय,
९९२-९९३ १४. प्राणवध का फल, १५. नरकों का परिचय,
९९४ १६. वेदनाओं का स्वरूप,
९९४-९९७ १७. तिर्यञ्चयोनिकों के दुःखों का वर्णन, ९९७-९९९ १८. कुमनुष्यों के दुःखों का वर्णन, १९. प्राणवध वर्णन का उपसंहार,
९९९ २. मृषावाद २०. मृषावाद का स्वरूप,
९९९-१000 २१. मृषावाद के पर्यायवाची नाम,
१000 २२. मृषावादी,
१०००-१००२ २३. असद्भाववादक मृषावादी,
१००२ २४. राज्य विरुद्ध अभ्याख्यानवादी, १००२-१००३ २५. परधनापहारक मृषावादी,
१००३ २६. पाप का परामर्श देने वाले मृषावादी, १00३-१००४ २७. अविचारितभाषी मृषावादी,
१००४-१००६ २८. मृषावाद का फल,
१००६-१००७ २९. मृषावाद वर्णन का उपसंहार,
१००७ ३. अदत्तादान ३०. अदत्तादान का स्वरूप,
१००७-१००८ ३१. अदत्तादान के पर्यायवाची नाम, १००८-१००९ ३२. अदत्तादानी,
१००९ ३३. परधन में आसक्त राजाओं की प्रवृत्ति, १००९-१०१० ३४. युद्ध क्षेत्र की बीभत्सता,
१०१०-१०११ ३५. सामुद्रिक तस्कर,
१०१२-१०१३ ३६. ग्रामादिजनों के अपहारकों की चर्या, १०१३-१०१४ ३७. अदत्तादान के दुष्परिणाम,
१०१४-१०१६ ३८. तम्करों की दण्डविधि,
१०१६-१०१८ ३९. तस्करों की दुर्गति परंपरा,
१०१८ ४०. संसार सागर का स्वरूप,
१०१९-१०२१ ४१. अदत्तादान का फल,
१०२२ ४२. अदत्तादाम का उपसंहार,
१०२२ ४. अब्रह्मचर्य ४३. अब्रह्मचर्य का स्वरूप,
१०२२ ४४. अब्रह्मचर्य के पर्यायवाची नाम, १०२२-१०२३
४५. अब्रह्मचर्य का सेवन करने वाले देव, मनुष्य और तिर्यञ्च,
१०२३-१०२४ ४६. चक्रवर्ती की भोगाभिलाषा,
१०२४-१०२५ ४७. बलदेव-वासुदेवों की भोग-गृद्धि, १०२५-१०२८ ४८. मांडलिक राजाओं की भोगासक्ति,
१०२८ ४९. अकर्मभूमि के स्त्री-पुरुषों की भोगासक्ति, १०२८-१०३३ ५०. मैथुन संज्ञा में ग्रस्तों की दुर्गति, १०३३-१०३४ ५१. अब्रह्मचर्य का फल,
१०३४ ५२. अब्रह्म का उपसंहार,
१०३५ ५३. उदाहरण सहित मैथुन सेवन के असंयम का प्ररूपण,
१०३५ ५. परिग्रह ५४. परिग्रह का स्वरूप,
१०३५ ५५. परिग्रह को वृक्ष की उपमा,
१०३५-१०३६ ५६. परिग्रह के पर्यायवाची नाम,
१०३६ ५७. लोभग्रस्त देव-मनुष्य,
१०३६-१०३८ ५८. परिग्रह के लिए प्रयल,
१०३८-१०३९ ५९. परिग्रह के फल,
१०३९ ६०. परिग्रह का उपसंहार,
१०३९ - ६१. आश्रव अध्ययन का उपसंहार,
१०३९ . २९. वेद अध्ययन १. वेद के तीन भेद,
१०४१ वेद का स्वरूप,
१०४१ २. चौबीसदण्डकों में वेद बंध का प्ररूपण, १०४१ ३. वेदकरण के भेद और चौबीसदण्डकों में प्ररूपण,
१०४१ ४. चौबीसदंडकों में वेद का प्ररूपण, १०४१-१०४२ ५. चार गतियों में वेद का प्ररूपण, १०४२-१०४३ ६. एक समय में एक वेद-वेदन का प्ररूपण, १०४३-१०४४ ७. सवेदक-अवेदक जीवों की कायस्थिति, १०४४-१०४५ ८. स्त्री-पुरुष-नपुंसकों की कायस्थिति का प्ररूपण,
१०४५-१०४९ ९. सवेदक-अवेदक जीवों के अंतरकाल का प्ररूपण,
१०४९-१०५१ १०. सवेदक-अवेदक जीवों का अल्पबहुत्व, १०५१ (क) स्त्रियों का अल्पबहुत्व,
१०५१-१०५३ (ख) पुरुषों का अल्पबहुत्व,
१०५३-१०५४ (ग) नपुंसकों का अल्पबहुत्व, १०५४-१०५६ (घ) स्त्री-पुरुष-नपुंसकों का अल्पबहुत्व, १०५६-१०६२
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