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श्री निहालचन्द्रजी सोगानी
[ व्यक्तित्व एव कृतित्व] राजस्थानकी पुनीत-पुण्य वसुन्धरा अनेक धर्मात्माओकी जन्म व कर्म भूमि है । यहाँका ऐतिहासिक नगर अजमेर अपनी प्राकृतिक छटाके साथ साथ विविध कला-संस्कृतियोंके केन्द्रके रूपमें सुप्रसिद्ध है। यहाँ प्राचीन कालसे ही मूल दिगम्बर जैन धर्मावलम्बी भी प्रचुर संख्यामे निवास करते रहे है । यहाँ उन लोगोंने अपनी धर्माराधनाके निमित्त अपने आराध्य देवोके कई गगनचुम्बी शिखरबद्ध जिन मन्दिरोके निर्माण कराये है, जो वस्तुशिल्प व कलात्मक सौन्दर्यकी दृष्टिसे भारत विख्यात है । हमारे प्रस्तुत चरितनायक, निकट मोक्षगामी-धर्मात्मा श्री निहालचन्द्रजी सोगानी [ जिनके लिए इस आलेखमे 'श्री सोगानीजी' शब्द प्रयुक्त किया है ] की भी यही जन्मभूमि है। __ यद्यपि सोगानी-परिवारकी अनेक पीढ़ियोंकी जन्मभूमि अजमेर ही रही है तथापि यह कहना कठिन है कि अतीतमें उनके पूर्वज कब और कहाँसे आकर यहाँ बसे । ___ श्री सोगानीजीके पिता श्री नेमीचन्द्रजी धर्मनिष्ठ, सरलमना व संतोषी वृत्तिके व्यक्ति थे। उनके अन्य तीन सहोदर थे । उन्होने आजीविकाके साधन हेतु गोटाकिनारीका हस्त-शिल्प अपनाया। परिवार मध्य वित्तीय स्थितिवाला था । श्री नेमीचन्द्रजीकी प्रथम पत्नी श्रीमती सूरजबाईका बाल्यावस्थामे ही निधन हो जानेसे उनका दूसरा विवाह गगराना ग्रामके कासलीवाल परिवारकी कन्या किशनीबाईके साथ किया गया । उसने चार पुत्र व एक पुत्रीको जन्म दिया । जिनमें श्री निहालचन्द्रजी दूसरे नम्बरके पुत्र थे।