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आध्यात्मिक पत्र अस्तित्वकी दृष्टि करे व लिखने, पढ़ने, आने, जाने, वायदे करने-कराने आदि सर्व पागलपनकी क्रियाओको उपचारिक निमित्तपने भी क्षय कर देवे, यह ही भावना है।
जड़ निहालभाईको अब भी सोनगढ़ पहुँचनेमे करीब २० दिवस और लगे, ऐसी आशा है । कलकत्तेसे एक हफ्तेमे क्षेत्रांतर होनेके आसार हैं।
धर्मस्नही निहालचन्द्र
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कलकत्ता २-१-१९५४
आत्मार्थी ____ आशा है परम कृपातु उपकारी श्री गुरुदेव सुख-शान्तिमे विराजते होगे । 'निर्जरा अधिकार' व श्री 'मोक्षमार्ग प्रकाशक का आठवाँ अध्याय बहुत सरस चल रहा होगा।
पत्र आपका मिला, समाचार निगाह किये।...आप लोगोका विहारसमयका प्रोग्राम जाना । जैसा अनुकूल योग होगा, गिरनार यात्रा आदिके समयका मेल मिलानेकी चेष्टा करुंगा। परन्तु अब योग होना कुछ कठिन-सा दिखाई पड़ता है।
आप लोगोको व्यक्त करनेमे असमर्थ हूँ कि वहॉके लिये मुझे कितनी उत्सुकता रहती है। महाराजश्रीके विहार पहले उनके प्रवचन, साक्षात् दर्शन आदिका लाभ न होना हीन पुण्यका सूचक है। ___समयपर वहॉ नही पहुँच सकनेके विषय पर आपकी परेशानीजानी। आपके वाचक शब्दोसे वाच्य भावका अनुमान होता है । मोक्षार्थी अपने क्षणिक अल्पकालीन भावोका मूल्य नही ऑकते। सबोको यथायोग्य ।
धर्मस्नेही निहालचन्द्र