________________ (12) कहते है: " आप लोग सब आराम कीनिये-सो जाइये / " वस, इतना कहकर आप प्रभु के ध्यान में मग्न हो गये / तीन बनने के समय विधिपूर्वक आपने संथारा किया / और एकाग्रचित्त से प्रभु के ध्यान में लग गये। बस साढ़ेतीन बजते बनते जैनसमाज का एक धर्मी पुरुष, भोपाल का अग्रगण्य नायक-संसार के पदार्थो परसे निर्मोही होकर, 70 वर्ष की आयु पूर्ण कर इस संसार से चल बसा / तारा खिर पड़ा / जाते जाते भी अपने पुत्ररत्न सेठ अमीचंदनी एवं अन्यान्य सम्बन्धियों को कहते हैं: " ध्यान रखना, मेरी अविद्यमानता में बालकों का धार्मिक अभ्यास बंद न हो जाय / धार्मिक अभ्यास का सिलसिला कायम रखना।" 'पिता वै जायते पुत्रः / इस प्राचीन उक्ति को, सेठ गोडीदासजी के पुत्ररत्न श्रीमान् सेठ दश हजार का अमीचंदजी साहब बराबर चरितार्थ कर रहे दान. हैं / सेठ गोड़ीदासनी की बीमारी निस बख्त बढ़ी, उसी समय सेठ अमीचंदनीने पिताजी की अनुमति लेली कि-" मैं 10000 रुपये शुम कार्य में व्यय करुंगा।" सेठ गोड़ीदासनीने प्रसन्नता पूर्वक इस शुभ संकल्प का अनुमोदन किया / धन्य है ऐसे पिता को और धन्य है ऐसे पुत्र को।