Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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जगत के तीन रूप तथा एक अन्त:करण में सात रूप ही सौर मंडल से सात ग्रह हैं जन्म जन्मांतरों के संचित शुभाशुभ कर्मों के प्रारब्ध की गणना विवेचना और उनका काल क्रमानुसार फल ही ज्योतिष का विषय है। बाह्य व्यक्तित्व के प्रतीक बृहस्पति, मंगल, चंद्र है। आंतरिक व्यक्तित्व के द्योतक क्रमशः शुक्र, बुध और सूर्य हैं। अत:करण का प्रतीक शनि है।
प्रथम सूर्य और चंद्रमा बौद्धिक और शरीरिक उन्नति अवनति के प्रतीक हैं इसी प्रकार आंतरिक का प्रतीक सूर्य, बाह्य का चंद्र और मंगल एवं अंतरंग के प्रतीक बुध और बृहस्पति है एवं शुक्र शनि क्रमश: बाह्य अंतरंग अंत:करण है यही क्रम सातों ग्रहों का है। यही विस्तृत मीमांसा सभी जैन ज्योतिष के ग्रंथों में है।
प्रस्तुत कृति आचार्य भद्रबाहु की कीर्ति पताका सी आर्यवर्त के ज्योतिष साहित्य में मूर्धन्य है भद्रबाहु संहिता, केवल ज्ञान प्रश्न चूडामणि करलखन, लोक विजय यन्त्र रिष्ठ समुच्चय, ये जैन ज्योतिष के पंच रत्न पंच परमेष्ठी की तरह सुप्रसिद्ध तो है ही अपितु सत्य और सिद्ध भविष्यफल द्योतक भी है। भारतीय ज्ञानपीठ ने बहुत पहले ही उन्हें प्रकाशित कर ज्योतिष प्रेमियों की प्रशंसनीय सेवा की है। भद्रबाहु संहिता में मात्र कृषि की उन्नति प्रगति और राजा की राज्य वृद्धि जय और पराजय एवं शकुन, निमित्तादि का ही वर्णन नहीं है अपितु, मानव जीवन की लौकिक प्रगति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी सभी प्रकार के विषयों की सूक्ष्म विवेचना ज्योतिषाधार पर प्राप्त होती है अष्टांग निमित्त के जितने भी ग्रंथ संसार भर में प्राप्त हैं उनका ज्येष्ठ गुरु और जनक भद्रबाह संहिता को कहें तो अतिश्योक्ति नहीं। इसमें वाराही संहिता के तुल्य ही सभी निमित्तों का विवेचन और कुल तीस अध्यायों में विभक्त इस ग्रंथ के 28, 29वें अध्याय अप्राप्त हैं किंतु प्रायः सभी अध्यायों में जो वर्णन प्राप्त है वह अद्भुत है
प्रथम अध्याय में— उल्का, परिवेष, विद्युत, अभ्र, संध्या, मेघ, वात, प्रवर्षण गंर्धवनगर, गर्भ, मात्रा, उत्पात, ग्रहधार, ग्रहयुद्ध, अर्धकाण्ड, स्वप्न, मुहूर्त, तिथि, पक्ष, मास, शून्य तिथि, दग्ध, विष, हुताशन, तिथियों के अलावा करण, योग, निमित, शकुन, पाक, ज्योतिष, वास्तु दिव्य संपदा और बारह राशियों के स्वभाव गुणधर्म व्यवहार प्रभाव विस्तृत मौलिक वर्णन है।