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सूत्रस्थानं भाषाटीकासमेतम् । (१३३) पञ्चविंशतिमित्येवं वृद्धैः क्षीणैश्च तावतः॥
एकैकवृद्धिसमताक्षयैः षट् ते पुनश्च षट् ॥ ७६ ॥ ऐसे बढेहुए दोषोंको बढेहुए दोषोंके मिलाप करकरके पचीस २५ भेदवाले जानो और दोषोंके क्षीण होनेसेभी इतने ही २५ भेद हैं जैसे वृद्ध पृथक् तीन दोष हैं तैसे ही क्षीणभी पृथक् तीन भेद जानो और वृद्धके स्थानमें सब जगह क्षीण जानना जैसे वातक्षीण पित्तक्षीण कफक्षीण और मिलाप होनेमें पहलेकी तरह नव भेद हो जाते हैं जैसे तीन तो भेद एकसे क्षीण ३ होनेमें है और क्षीण वातपित्तका मिलाप १ क्षीण पित्तकफका योग २ क्षीण वातकफका योग ३ और ६ छह भेद एकके ज्यादे क्षीण होनेसे हैं जैसे वातक्षीण पित्त अतिक्षीण १ पित्तक्षीण वात अतिक्षीण २ वातक्षणि कफ अतिक्षीण ३ कफक्षीण वात अतिक्षीण ४ कक्षीण पित्त अतिक्षीण ५ पित्तक्षीण कफ अतिक्षीण ६ ऐसे जानो और छह भेद दोओंके और एकके ज्यादे होनेमें होते हैं जैसे यातक्षीण पित्तकफ अतिक्षीण १ पित्तक्षीण वातकफ अतिक्षीण २ कफक्षीण पित्तवात अतिक्षीण ३ वातपित्त क्षीण कफ अतिक्षीण ४ पित्तकफ क्षीण वात अतिक्षीण ५ वातकफ क्षीण पित्त अतिक्षीण ६ ऐसे जानो और एक अति ज्यादे बढ़नेसे छह भेद हैं जैसे कफक्षीण पित्त अतिक्षीण वात अति ज्यादे क्षीण १ वातक्षीण कफ अतिक्षीण पित्त अतिव्यादे क्षीण २ पित्तक्षीण कफ अतिक्षीण वात अति ज्यादे क्षीण ३ कफ क्षीण वात अतिक्षीण पित्त अति ज्यादे क्षीण ४ वात क्षणि पित्त अतिक्षीण कफ अति ज्यादे क्षीण ६ पित्त क्षीण वात अतिक्षीण कफ अति ज्यादे क्षीण ६ इस प्रकारसे जानो और वे सन्निपातमें स्थित होनेवाले दोष एकएककी वृद्धि समता क्षय इन भेदोंकरके छह प्रकारके हैं जैसे वात बढाहुआ पित्त सम कफ क्षीण १ पित्त । बढाहुआ वात सम कफ क्षीण २ कफ बढाहुआ पित्त सम वातक्षीण ३ कफ बढाहुआ वात सम पित्तक्षीण ४ वात बढाहुआ कफ सम पित्तक्षीण ५ पित्त बढाहुआ कफ सम वातक्षीण ६ ऐसे जानो ॥ ७६ ॥
एकक्षयद्वन्द्वबृद्ध्या सविपर्यययाऽपि ते ॥
भेदा द्विषष्टिनिर्दिष्टास्त्रिषष्टः स्वास्थ्यकारणम् ॥ ७७ ॥ और एक दोषके क्षय होनेमें और दो दोओंकी वृद्धि होनेमें अथवा दोदोंओंके क्षय और एककी वृद्धि होनेमें फिरभी छः भेद होते हैं जैसे वात क्षीण पित्तकफ बढेहुये १ पित्त क्षीण वातकफ बढेहुये २ और कफ क्षीण वातपित्त बढेहुये ३ वातपित्त क्षीण कफ बढाहुआ ४ और वातकफ क्षीण पित्त बढाहुआ ५ और पित्तकफ क्षीण वात बढाहुआ ६ ऐसे जानो इस प्रकारसे ये पूर्वोक्त सब भेद मिलके बासठ ६२ हैं और तरेसठमा ६३ दोषभेद आरोग्यताका कारण है. और ये बासठ ६२ दोष रोगके कारण जानने ॥ ७७ ॥
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