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अनेकान्त 67/1, जनवरी-मार्च 2014
२१. मानसार, ८१-८२ २२. प्रतिष्ठा सारोद्धार, ९३, ९४ (आशाधरकृत), सं० मनोहर लाल शास्त्री, बम्बई, १९१७ २३. वसुनन्दि श्रावकाचार, पृ. ६८, वसुनन्दि, भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, १९५२ २४. जिनयज्ञकल्प, १०, जैन कामता प्रसाद, तथैव २५. वसुनन्दि श्रावकाचार, पृ. ६८ २६. प्रतिष्ठासारोद्धार, पृ.८ २७. जिनयज्ञकल्प, ११, (प्रातिहार्य बिना शुद्ध सिद्ध बिम्बपपीदृशम्) २८. जिनयज्ञकल्प, ११, जैन कामता प्रसाद, तथैव २९. वसुनन्दि श्रावकाचार, पृ.६९ ३०. पडिमाणं अग्गेसुंरयणथम्भा हवंतिवीसपुढ़ः, पडिमा पीढसरिच्छा पीठा थभाणणादत्वा ११, तिलोयपण्णत्ति (यतिवृषभकृत), सं० आदिनाथ उपाध्ये तथा हीरालाल जैन, जीवराज जैन
ग्रंथमाला १, शोलापुर, १९४३ ३१. मल्लिनाथपुराण, पृ० १४४,श्लोक १२४,१२५, (विनय चन्द्रसूरिकृत), सं० हरगोविन्ददास
तथा बेचरदास, यशोविजय जैन ग्रंथमाला २९, वाराणसी। ३२. मल्लिनाथपुराण, पृ० १४६, श्लोक १३४, १३५, तथैव
- ११, जयनगर कालोनी, गिलट बाजार,
वाराणसी-२२१००२ (उ०प्र०)
पी.-एच. डी. उपाधि प्रदत्त
नई दिल्ली। वीर सेवा मन्दिर, २१, दरियागंज, नई दिल्ली के उपनिदेशक पं. आलोक कुमार जैन को जैन विश्वभारती संस्थान (मानित विश्वविद्यालय) लाडनूं राजस्थान) द्वारा “आचार्य देवसेन की कृतियों में दार्शनिक दृष्टि" विषय पर डॉ. जिनेन्द्र कुमार जैन, एसोसिएट प्रोफेसर, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के निर्देशन में पी.-एच. डी. की उपाधि प्रदत्त की गई। आपने श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान, सांगानेर से जैनदर्शन में आचार्य किया। आप ललितपुर (उ.प्र.) के युवा विद्वानों में एक गौरवपूर्ण स्थान रखते हैं।
___वीर सेवा मंदिर परिवार एवं पदाधिकारीगण डॉ. आलोक कुमार जैन को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।
--प्रा. पं. निहाल चंद जैन, निदेशक-वीर सेवा मंदिर