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अनेकान्त 67/3, जुलाई-सितम्बर 2014
चेतन यह बुधि कौन सयानी ?
चेतन यह बुधि कौन सयानी ? कहि सुगुरू हित सीख न मानी, कठिन काक ताली त्यो पायो, नर भव, सुकुल, श्रवन जिनवानी।
भूमि न होत चाँदनी की ज्यों, त्यों नही धनी ज्ञेय को ज्ञानी।
वस्तु रूप यो तू यों ही शठ, हठकर पकरत सोंज विरानी। चेतन.....
ज्ञानी होय अज्ञान, राग रूष कर निज सहज स्वेच्छता हानी, इन्द्रिय जड़, तन विषय अचेतन, तहाँ अनिष्ट, इष्टता ठानी। चेतन....
चाहे सुख, दुख की अवगाहै, अब सुन विधि जो है सुख दानी, "दौल" आप करि आप आप में ध्यायलाय समरस रस ज्ञानी। चेतन..
- कविवर दौलतराम