Book Title: Anekant 2014 Book 67 Ank 01 to 04
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 352
________________ 64 अनेकान्त 67/4 अक्टूबर-दिसम्बर, 2014 वे जो प्रत्येक कार्य को समझकर अथवा ज्ञान से करते हैं। दूसरे वे जो बिना समझे अथवा अज्ञान से करते हैं। जो कर्म समझकर ज्ञान से किए जाते हैं, वे कर्म शक्तिशाली तथा सफल होते हैं। अतः शिक्षा का महत्व स्वयंसिद्ध है। शिक्षा की समुचित व्यवस्था पर ही सांस्कृतिक, बौद्धिक तथा वैज्ञानिक प्रगति संभव है। संपूर्ण जीवन शिक्षा के लिए है तथा शिक्षा संपूर्ण जीवन के लिए। इस विधान के साथ-साथ प्राचीन समय में प्रथम आश्रम ब्रह्मचर्य को विशेष रूप से शिक्षा का काल घोषित किया गया था । कहकोसु कालीन समाज पूर्ण रूप से शिक्षा समाज था। माता-पिता अपनी संतान को शिक्षा प्रदान करने में कोई कमी नहीं रखते थे। इस काल में शिक्षा उच्चकुल में सर्वाधिक महत्वपूर्ण समझी जाती थी। राजा अपने राजकुमार को अवश्य शिक्षा देता था। कोई भी पिता अपने गुरु को जो उसके पद अथवा व्यापार का उत्तराधिकारी है, उसे शिक्षा देना अनिवार्य मानता था। कहकोसु की व्यंजनहीन कथा राजा वीरसेन ने अपने पुत्र सिंहरथ के अध्ययन के अपने राज्य व्यवस्था संबन्धी पत्र में एक वाक्य लिखा - सिंहो अध्यापयितव्यः अर्थात् सिंहरथ की अध्ययन की व्यवस्था की जाए । तथा अर्थहीन कथा में राजा वसुपाल ने अपने पुत्र वसुमित्र के अध्ययन के लिए गर्ग नामक एक विद्वान नियुक्त किया था । २४ इससे यह प्रतीत होता है कि उस समय अध्ययन कितना आवश्यक था कि राजा युद्ध क्षेत्र से भी अपने पुत्र के अध्ययन के लिए व्यवस्था किया करते थे। संदर्भ : १. कहकोसु, प्रस्तावना, पृष्ठ- ११ २. पुरुदेवचम्पू ७ / १४ ३. पुरुदेवचम्पू १० / ४५ ४. कहको संधि-३,२८ ५. महापुराण २४४/१६/३६८, ऋषभदेव एक परिशीलन पृ. ८६ ७. महापुराण, २४५/१६/३६८ ८. पुरुदेवचम्पू ७/२७ ६. कहको, संधि ५७ ९. कहकोसु, संधि - ६,९ १०. पुरुदेवचम्पू १०/४५ ११. जैन आगम साहित्य में १३. कहो, संधि-२२ भारतीय समाज पृष्ठ २२३ १२. पुरुदेवचम्पू १० / ४२ १४. कहकोसु, संधि-२, ३, ४, ५, ६ १५. आदिपुराण में प्रतिपादित भारत, पृ० २३९ १६. कहको संधि ४, ७ १७. कहको संधि- ७ १८. जैन व्रत कथा संग्रह, पृ० १२९ १९. कहकोसु, संधि - ४, ८ २०. कहकोसु, संधि - १० २१. कहकोसु, संधि - ४, ५, ८ २२. कहकोसु, संधि - ८ २३. कहकोसु, संधि- ७ २४. कहकोसु, संधि - ६ - पालम गांव, नई दिल्ली- ११००७५

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