Book Title: Anekant 2014 Book 67 Ank 01 to 04
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 380
________________ अनेकान्त 67/4, अक्टूबर-दिसम्बर, 2014 पुस्तक समीक्षा (१) पुस्तक - 'आत्मवृत्तम्” (स्वयं लेखक का काव्यमय जीवन वृत्त) रचयिता- पं. लालचंद जैन ‘राकेश' प्रकाशक- माँ भगवतीदेवी जैन स्मृति एवं पारमार्थिक न्यास भोपाल (म०प्र०), प्रथमावृत्ति- १०००, प्रकाशन वर्ष २०१४, मूल्य ५०रु. पृष्ठ-१५० भाग-१ में विद्वान-मनीषी प्रो. डॉ. रतनचन्द्र भोपाल, प्रा० पं. निहालचंद जैन (बीना), इन्जी. अनिल जैन आदि के आत्मवृत्तम् पर समीक्षात्मक लेख हैं जबकि भाग-२ में पं. लालचंद जी ने लगभग २० उपशीर्षकों में स्वयं का पद्यात्मक-जीवनवृत्त लिखा है। भाग ३ में पारिवारिक परिचय है। आत्मकथा लिखना और यथार्थता से साझा करना बहुत मुश्किल होता है। लेखक पं. लालचंद ‘राकेश' की साहित्य सपर्या में लगभग ६० कृतियों का सृजन का ब्यौरा है। (२) पुस्तक - जिन- गुणानुवाद - मंजरी (काव्य संग्रह), रचयितापं० लालचंद जैन ‘राकेश', प्रकाशक-दि० जैन महिला समाज-अयोध्या नगर, भोपाल (म०प्र०), प्रथमावृत्ति- १०००, वर्ष २०१४, मूल्यः ५०रु., पृष्ठ-१८२, प्रस्तावना- रमेशचन्द्र मनयाँ, इतवारा, भोपाल। १११ विविध विषयों पर काव्याञ्जलि का एक सुन्दर-सर्वग्राही संग्रह इसे भक्ति का अमृत कलश कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। (३) चारु वसंता : ‘कन्नड़-हिन्दी का साहित्यिक-सांस्कृतिक सेतु' चारु वसंता मूलतः कन्नड़ भाषा में लिखित, पुराकथानक पर आधारित एक प्रेरक रचना है। रचनाकार हैं कवि प्रो० हंपा नागराजय्या जो साहित्य जगत के आदर्श उदाहरण हैं। चारु वसंता - नायक चारुदत्त एवं नायिका वसंततिलका नामक गणिका की प्रेमकथा है। इसे पाँच काण्डों में विभक्त किया गया है। प्रथम काण्ड-कथा काण्ड है। द्वितीय-सुन्दर काण्ड, तृतीय

Loading...

Page Navigation
1 ... 378 379 380 381 382 383 384