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अनेकान्त 67/4, अक्टूबर-दिसम्बर, 2014 पुस्तिका में बुन्देलखण्ड के ३२ प्रमुख तीर्थों का सचित्र एवं संक्षिप्त वर्णन है। प्रत्येक तीर्थ के लिए सम्पर्क सूत्र, मूलनायक विवरण, मन्दिरों की संख्या तथा निकटवर्ती क्षेत्र का विवरण दिया गया है। आर्ट पेपर पर रंगीन प्रिंटिंग एवं आकर्षक गेट-अप है। डीवीडी में २० तीर्थ क्षेत्रों का मनोहारी दर्शन दर्शाए गये हैं। दोनों उपयोगी एवं संग्रहणीय हैं। (६) आचार्य देवसेन की कृतियों में दार्शनिक दृष्टि (शोध प्रबन्ध) शोध प्रबन्ध लेखक-डॉ. आलोक कुमार जैन, उपनिदेशक वीर सेवा मन्दिर, नई दिल्ली-११०००२
उक्त शोध प्रबन्ध ६ अध्यायों में विभक्त है। परिशिष्ट के अन्तर्गत स्थविर कल्प एवं जिनकल्प साधुओं के स्वरूप का उल्लेख किया गया है तथा इसके दूसरे भाग में विभिन्न संघों की उत्पत्ति का संक्षिप्त वर्णन है।
शोध प्रबन्ध की विशेषता यह है कि प्रत्येक अध्याय का समापन उसके सारांश द्वारा किया गया है। प्रत्येक अध्याय के वर्ण्य विषय निम्न हैं१. आचार्य देवसेन की कृतियों में तात्त्विक दृष्टि २. आचार्य देवसेन की कृतियों में नयात्मक दृष्टि ३. आचार्य देवसेन की कृतियों में गुणस्थान विवेचन ४. आचार्य देवसेन की कृतियों में साधनापरक दृष्टि ५. आचार्य देवसेन की कृतियों में अन्य मतों की समीक्षा ६. आचार्य देवसेन की कृतियों में अध्यात्मपरक दृष्टि
यदि इसका पुस्तकाकार प्रकाशन हो जाय तो आचार्य देवसेन पर एक विस्तृत एवं विहंगम दृष्टि विद्वानों एवं समाज को प्राप्त हो सकेगी।
समीक्षक - पं. निहालचंद जैन, निदेशक वीर सेवा मंदिर, दरियागंज, नई दिल्ली