Book Title: Anekant 2014 Book 67 Ank 01 to 04
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 381
________________ अनेकान्त 67/4, अक्टूबर-दिसम्बर, 2014 ‘उन्मुख काण्ड' चतुर्थ- ‘उद्योग काण्ड एवं पाँचवाँ द्यावाकाण्ड है। हिन्दी अनुवादक-श्री एच.वी. रामचन्द्र राव। प्रकाशक-कहं प्रकाशन, राजाजिनगर बेंगलूर, प्रकाशन वर्ष-२०१३, पृष्ठ-३४०, मूल्य : २५०रु.। अनुवादक ने ‘परकाया प्रवेश' की साधना करते हुए ऐसा मालवत् अनुवाद किया कि वह अनुवाद प्रतीत नहीं होता। रचना- पाठक को डूबते रहने की प्रेरणा देती है। (४) कवि पण्डित दौलतराम कृत - छहढाला का हिन्दी गद्य और कवितानुवाद- डॉ. जयकुमार ‘जलज', प्रकाशक- हिन्दी ग्रंथ कार्यालय ९ हीराबाग, सी.पी. टैंक, मुम्बई-४००००४। प्रथम संस्करण-२०१४, मूल्यः रु. १००, पृष्ठ-८८ डॉ. जयकुमार जैन 'जलज' ने अपने प्राक्कथन में लिखा- पण्डित दौलतराम की कविता में अनुभूति की आर्द्रता के साथ जैन सिद्धान्त और जैन विचारों की दृढ़ जमीन है। छहढाला की प्रत्येक ढाल का अपना एक अलग छन्द है। छहढाला का कवितानुवाद (गद्य-गीत में) प्रथम बार प्रकाशित हुआ है, जो डॉ. 'जलज' जैसे भाषा विज्ञानी कवि का सफल/सार्थक प्रयास है। आतम को हित है सुख......तीसरी ढाल छंद ३३ का कवितानुवाद की बानगी देखें- “आत्मा तलासती सुख/ सुख ही आत्मा का हित सुख आकुलता का नहीं/ निराकुलता की सन्तति/सिर्फ मोक्ष ही ऐसी सत्ता/जहाँ निराकुलता बसती है। .......... लेकिन उस तक जाते हैं व्यवहार मार्ग से/ जो निश्चय का पहुँच मार्ग है। इस ताकतवर और प्रवाहपूर्ण कवितानुवाद ने छहढाला को एक अभिनव चिन्तन का द्वार खोल दिया है। यद्यपि द्वितीय संस्करण प्रेस में है फिर भी क्या प्रकाशक ने इसका मूल्य अधिक रखकर इसकी लोकप्रियता को बाधित नहीं किया है ? डॉ० जलज जी अभी हाल में 'हिन्दी साहित्य सम्मेलन' प्रयाग के सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत हुए हैं। (५) बुन्देलखण्ड जैन तीर्थ दर्शन एवं तीर्थ वन्दना की डीवीडी संकल्पना- शैलेन्द्र जैन, अलीगढ़ (०९४१२२७२५७७) प्राप्ति स्थान- आस्था, १९५, आवास विकास सासनी गेट, अलीगढ़ (उ.प्र.) पुस्तिका एवं डीवीडी - निःशुल्क

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