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अनेकान्त 67/3, जुलाई-सितम्बर 2014 (भक्ति संगीत)। मन प्रसन्न हुआ।वास्तव में देव,शास्त्र, गुरु की स्तुति/ भक्ति के अलावा वहाँ कुछ नहीं था। न भौंड़ा नृत्य था और फिल्मी वैवाहिक गीत। भोजन में भी शुद्ध हरित्-रहित विना आलू-प्याज की सामग्री। विचारें - क्या इसका अनुकरण करके हम एक सद्गृहस्थ की भूमिका का अनायास ही निर्वहन नहीं कर सकते हैं? नेतृत्व इस ओर सजग एवं सचेत हो तो सब कुछ संभव है। किमधिकं सुविज्ञेषु ......
- डॉ. जयकुमार जैन
बोध कथा
संकल्प शक्ति मनुष्य की कार्यसिद्धि, संकल्प की अनुजीवी होती है। इसके लिए चार बातें ध्यान में रखने योग्य हैं। (१) आत्म विश्वास (२) आस्था (३) आत्म निर्भरता और (४) मजबूत इरादे। सफलता की कुंजी है- हमारी संकल्प शक्ति संकल्प गहरा हो तो कुछ भी असंभव नहीं। पहाड़ पर उगते वृक्ष इसके साक्षी हैं। जिनकी जड़ें पत्थरों को फोड़कर मिट्टी तलाश लेती हैं। | अमेरिका में एक अद्भुत साहसी हो गया- ग्लेन कलियस। बचपन में स्टोव फटने से वह अपंग हो गया था। लेकिन विकलांगता उसकी प्रगति में बाधक नहीं बन पायी। उसने हौसला - हिम्मत रखा और हर कार्य को चुनौती मानकर शुरू किया। अनेक रुकावटों के बावजूद उसने स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण की और फिर डाक्ट्रेट की उपाधि हासिल की। । ग्लेन ने अपना कैरियर अध्यापन से शुरू किया। विलक्षण प्रतिभा के बल पर वह जिस विश्वविद्यालय में प्रोफेसर था, उसी का कुलपति बना| द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उसने अपनी सेवाएँ सेना को प्रदान की। वृद्ध होने पर जीवन भर की जमापूंजी लगाकर एक आश्रम खोला। जिसमें आठ हजार अपंगों को पढ़ने और अनेक कौशल सिखाने की आवासीय व्यवस्था थी। इस प्रकार ग्लेन की अपंगता उसके संकल्प को डिगा नहीं पायी।
- (सौ बोध कथाओं से साभार- पं. निहालचंद जैन)