Book Title: Anekant 2014 Book 67 Ank 01 to 04
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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अनेकान्त 67/4, अक्टूबर-दिसम्बर, 2014 १३. संशयोच्छेदाय निश्चितबलाधानाय वा परानुयोगः पृच्छना। सर्वार्थासिद्धि ९/२५/४४३/४ १४. कम्मणिज्जरणट्ठमट्ठि - मज्जाणुगयस्स सुदणाणरस परिमलणमणुपेक्खणा णाम-धवला
९/४, १, ५५/२६३/१ सुदत्थस्स सुदाणुसारेण चिन्तणमणुपेहणं णाम। धवला १४, ४६,
१४/९/५ १५. 'घोष शुद्धं परिवर्तनाम्नायं' - सर्वार्थसिद्धि ९/२५/४४३/५, तत्त्वार्थसार, ७/१९, अनगार
धर्मामृत ७/८७/७१६ १६. आदिपुराण (महापुराण) २१/९६, २३/६९-७२, २४/८५-१८० १७. महापुराण, १२/२२६ १८. महापुराण, षोडश पर्व, १०३-१०४, पृ. ३५५ १९. विशेषावश्यकभाष्य, सं० डॉ. नथमल टाटिया, पृ. १६८-६९ २०. न्यायबिन्दु, टीका १/७/१४०/१९ २१. जस्स जम्हि अवट्ठाणं तस्स तं पदं पयत गम्यते परिच्छिद्यते इति पदं।- धवला १०/४/,२, ४. १/१८/६ जैनेन्द्रसिद्धान्त कोश भाग ३, पृ. ५ २२. सर्वार्थसिद्धि १८ २३. कसायपाहुड (जयधवला)१/९/११/७ २४.विशेषावश्यकभाष्य (श्रीमज्जिनाद्रगणि क्षमाश्रमण विरचितं श्रीमत्कोटयाचार्यकृतवृत्त
विभूषितम्), संपादक डॉ. नथमल टाटिया, प्रथम सं. पृ. ३५१-५२. २५. धवला - ६, १, ९-१, ३/५/३ २६.(क) विशेषावश्यकभाष्यम्।।१४३७।। नियुक्ति १३१, (ख) आवश्यकनियुक्ति दीपिका
४६/१३६। विशेष संदर्भ मूल टीका में २७. आदिपुराण में प्रतिपादित भारत : डॉ. नेमिचन्द्रशास्त्री, पृ. २५० RC. Mrs. Sinclair Stevenson, M.A.1, Sc.D. : The Heart of Jainism, Chapter 2
P.20.0.U.P. 1915 29. Dr. Vilas Adinath Sangave: Jain Community: A Social Survey, P. 341, Popular Book Depot, Bombay, 1959.
- शोधछात्रा, जैनदर्शन विभाग, श्रीलाल बहादुरशास्त्री रा. संस्कृत विद्यापीठ,
नई दिल्ली -११००१६

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