Book Title: Anekant 2014 Book 67 Ank 01 to 04
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 329
________________ अनेकान्त 67/4, अक्टूबर-दिसम्बर, 2014 षट्चत्वारिंशता दोषैः पिण्डोऽधः कर्मणा मलैः।२८ द्विसप्तैश्चोज्झितोऽविघ्नं योज्यस्त्याज्यस्तथार्थतः।।१।। अर्थात् निमित्त और प्रयोजन के आश्रय से छियालस दोषों से, अधः कर्म से और चौदह मलों से रहित आहार अन्तराओं को टालकर ग्रहण करना चाहिए तथा यदि ऐसा न हो तो उसे छोड़ देना चाहिए। ___छियालीस दोषों में सोलह उद्गम दोष, सोलह उत्पादन दोष, दस शंकित दोष, चार अंगार दोष, धूम दोष, संयोजन दोष और प्रमाण दोष होते हैं। भोजन बनाने में जो हिंसा होती है उसे अधःकर्म कहते हैं। पीब, रुधिर, मांस, हड्डी, चर्म, नख, केश, मरे हुए विकलत्रय, कंद, सूरण आदि, बीज मूली आदि, फल, कण और कुण्ड- ये आहार संबन्धी चौदह मल हैं। मांसाहार दोषों को वैज्ञानिक निष्कर्ष पर समझने हेतु, शारीरिक एवं मानसिक व्यापार को नियंत्रित करने वाली उन तरंगों/ किरणों के प्रभाव और विशेषताओं को समझना आवश्यक है जो विभिन्न परिस्थितियों के कारण मस्तिष्क से उत्सर्जित होती है। इन तरंगों के गुण और कार्य निम्नानुसार है:३० (१) थीटा तरंग : 4-7.5 HZs की थीटा तरंगें सामान्य हल्की निद्रा या गहरी ध्यानावस्था में उत्सर्जित होती हैं। ऐसा माना जाता है कि गहन आध्यात्मिक तादात्म्य और चराचर जगत से एकाकार अनुभव में आता है। 7 से 8HZs की सीमा पर, मानसिक स्तर पर सृजनात्मकता प्रारंभ होती है। (२) अल्फा तरंग : 7.5-14 HZs की अल्फा तरंग, वास्तव में तरंग नहीं, बल्कि तीव्र, चलायमान, घनात्मक आवेश वाले हीलियम न्यूक्लियस (Helium nuclei) है जिनमें २ न्यूट्रान और ४ प्रोटान होते हैं। भारी होने के कारण इनकी छेदन क्षमता अल्प रहती है अतः मोटे कागज से भी रोके जा सकते हैं। ये तरंगें जागृत परन्तु आरामदायक स्थिति में बंद आंखों के साथ 'आस्सिपिटल लोब' (Occipital Lobe) से पैदा होती हैं। अल्फा तरंगों को प्रमस्तिष्क या अर्धचेतन अवस्था का प्रवेश द्वारा माना गया है। (३) बीटा तरंग : 14-40 HZs की बीटा तरंग भी, वास्तव में तरंग नहीं, बल्कि तीव्र, चलायमान ऋणात्मक आवेश या इलेक्ट्रान हैं। अल्फा तरंगों की तुलना में कम भारी, बीटा तरंगों की भेदन क्षमता भी अधिक होती है परन्तु 'आवेश होने के कारण इन्हें अत्यधिक मोटे और कड़े कार्ड बोर्ड या दीवाल

Loading...

Page Navigation
1 ... 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384